हे माननीय तेरा नन्दन । हे मानबिन्दु तेरा रक्षण ॥
हे शौर्यप्रदर्शक शक्तिस्वरूप । हे मानरक्षक क्रान्तिरूप ॥
हे सूर्य चन्द्र अरु अग्निरूप । हे विद्युल्लेखा चक्ररूप ॥
हे त्रिकोणमध्य बालसूर्य । तन्मध्यगत स्वस्तिक अपूर्व ॥
केसरिया वस्त्र त्यागरूप । वैदिकध्वज वैभवस्वरूप ॥ श्रुति-स्मृति-पुराणस्वरूप । हे युगप्रवर्तक रामरूप ॥
हे दुर्गा काली सतीरूप । सीता सावित्री शचीरूप ॥
हे ब्रह्मा - विष्णु - महेशरूप। हे आदित्य और गणेशरूप ॥
हे शक्तिरूप सृष्टिस्वरूप । हे सर्वेश्वर सच्चित्स्वरूप ॥
हो आर्यधर्म - निर्वाहक तुम । वैदिकताके वाहक तुम ॥
हो हिन्दुधर्मके पालक तुम । सत्यशील उद्धारक तुम ॥
हे राष्ट्रध्वज तेरा वन्दन । हे वन्दनीय तेरा वन्दन ॥
पुरी शङ्कराचार्य जी