कुछ लोगों की मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद (भादो) मास अपवित्र है । परन्तु है तो कैसे ? ये मालूम नहीं ! यदि है भी तो एक तर्क देते है " चतुर्मासा "! खैर जिस नजरिया से लोग देखें । देखना, समझना या सोचना सभी जन-मानसों की अपनी-अपनी है।अनभिज्ञ लोग यही मानकर कुछ भी नहीं करते कि " चतुर्मासा "है। पहले ये बातें सुनते थे ।लेकिन अब 21वीं शदी के लोग भी भाद्रपद मास को अपवित्र मानकर बातें करने में तनिक भी ना सोंचते । जो भी हो उनको जरा भाद्रपद मास का महत्व को समझना चाहिए, पढ़ना चाहिए ।
भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को भगवान कृष्ण का जन्म जो पूर्ण ब्रह्म का अवतरण माना गया है। प्रेम की महा दीवानी महारानी राधा रानी जी का जन्म । हरितालिका (तीज) व्रत जो गौर ,गणेश और शंकर जी की पूजा शौभाग्यवति महिला अवश्य करती हैं, सोलहो शृंगार रच कर वो भी भादो मास में, गणेश चतुर्थी जो महाराष्ट्र का सबसे महान पर्व है वो भाद्रपद मास में, भाई की लम्बी आयु के लिए कर्मा एकादशी ,अनंत चतुर्दशी जो अपनी रक्षा के लिए चौदह गाँठ का रक्षा सूत्र दायें हाथ में बांधते हैं वो भी भादो मास में ।
अब बताएं कि इतने सारे देवताओं की पूजा का शुभ दिन भाद्रपद में हुआ है तो अपवित्र कैसे हुआ ? यदि अपवित्र ही रहता तो भगवान को कोई और मास में जन्म लेना चाहिए था ,यदि अपवित्र और अशुद्ध महिना भादो है तो सुहागन स्त्री या कुंआरी लड़कियाँ अपने पति की दीर्घायु के लिए या सुन्दर पति की प्राप्ति के लिए क्यों तीज व्रत करती हैं उन्हें तो छोड़ देना चाहिए । अपने भाई की लम्बी आयु के लिए जो कर्मा एकादशी करते हैं वह भी छोड़ दें अशुद्ध महिना में दीर्घायु की कामना क्यों करते हैं । चौदह गाठों का रक्षा सूत्र क्यों बांधते हैं भादो मास में , कोई और महिना में तो करते । ये सभी करते हुए भी लोग अंधे-बहरे की तरह कह बैठते हैं कि भादो है! "मत करो कोई पूजा पाठ,ये काम मत करो भाई क्यों ? "जब तीनों लोक के स्वामी भादो महिना में जन्म ले सकते हैं, पति ,पुत्र, धन,आत्म सुरक्षा के लिए व्रत कर सकते हैं तो भाद्रपद महिना में और भगवान की पूजा या कुछ करने से क्यूँ वंचित ।
जिस प्रकार कार्तिक, माघ, वैशाख और श्रावण को परम पवित्र महिना माना गया है तो भाद्रपद माह इन चारों मास में श्रेष्ठ मास है । क्योंकि इस मास में भगवान कृष्ण स्वयं पूर्ण ब्रह्म के रूप में जन्म लिए हैं।इसलिए भाद्रपद मास सर्वोत्तम मास है । ये महिना ब्रह्म महिना है । इसमें तनिक भी संदेह नहीं है ।
अत: मान्यवर से अनुरोध है कि 21वीं सदी का भारत में कुछ ऐसी अफवाहें कि भादो मास अपवित्र है अशुद्ध है ना फैलाए जो फैला रहें हैं उन्हें रोकें और आप भी समझे और आत्म मंथन करें।
धन्यवाद!
श्री मान् गोपाल पाठक जी , भदसेरी
सर्वे भवन्तु सुखिन:सर्वे सन्तु निरामया,सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मां कश्चिद दु:खभाग भवेत्| विद्या का अन्तिम लक्ष्य चरित्र निर्माण होना चाहिए | "श्री महात्मा गाँधी जी"