गौपाला के दरश हुए गौधूली में।
तन मन के सब ताप मिटें गौधूली में,
जीवन के सब पाप कटें गौधूली में।।
कई जन्मों के मर्म मिले गौधूली में,
खुशिक के नये फूल खिले गौधूली में।
सर्व सुखों के मन्त्र मिले गौधूली में,
बलदाऊ संग कृष्ण दिंखे गौधूली में।।
संतों की भी कृपा मिले गौधूली में,
श्री राधा संग श्री कृष्ण दिखे गौधूली में।
ग्वाल बाल संग खेल किये गौधूली में,
ब्रज रज में नंगे पांव चले गौधूली में।।
ऊधौ के भी भाग्य खुले गौधूली में,
ब्रह्मा ने भी दरश किते गौधूली में।
गौलोक के दरश मिले ब्रजभूमि में,
गौपालक के दरश मिले ब्रजभूमि में।।
जीवन के कई स्वप्न दिखे गौधूली में,
सारे देवी देव दिखे ब्रजभूमि में।
वैतरणी भी पार दिखे गौधूली में,
जीवन का एक साल दिखे गौधूली में।।
हाथ उठा सब प्रण कर लो ब्रजभूमि में,
गौसेवा में लग जावे ब्रजभूमि में।
चलो मिले सब संग आज ब्रजभूमि में,
गौमाता व्रत पूर्ण करें रजधूली मे।।
।।जय गौमाता जय गोपाल।।