परिक्रमा एक लगालो श्रीधाम वृन्दावन में।
सब त्रिताप दूर होगा श्रीधाम वृन्दावन में,
भव पार तुम भी हो जाओ श्रीधाम वृन्दावन में।।
उत्सव अनेक होते हैं श्रीधाम वृन्दावन में,
पकवान भोग आते श्रीधाम वृन्दावन में।
श्रंगार फूल सोवें श्रीधाम वृन्दावन में,
यहांँ "हारी होरा" होवै श्रीधाम वृन्दावन में।।
जीवन निसार कर दो श्रीधाम वृन्दावन में,
झोली अमोल मर्दों श्रीधाम वृन्दावन में।
श्रीयमुना दरश करलो श्रीधाम वृन्दावन में,
हुन्डी तो नाम करलो श्रीधाम वृन्दावन में।।
वन कुंज तो निरखलो श्रीधाम वृन्दावन में,
एक सोहनी सेवा करलो श्रीधाम वृन्दावन में।
रसराज को निरखलो श्रीधाम वृन्दावन में,
रजरानी शीश धरलो श्रीधाम वृन्दावन में।।
ब्रजधाम स्वच्छ करलो श्रीधाम वृन्दावन में,
तन-मन को विमल करलो श्रीधाम वृन्दावन में।
कुछ सेवा भी तो करलो श्रीधाम वृन्दावन में,
चित युगल चरण धरलो श्रीधाम वृन्दावन में।।
माया का मोह छोड़ो श्रीधाम वृन्दावन में,
सेवा अनेक करलो श्रीधाम वृन्दावन में।
शुभकर्म तुम भी करलो श्रीधाम वृन्दावन में,
सत् कर्म तो सँजोलो श्रीधाम वृन्दावन में।।
दाती अनेक आवें श्रीधाम वृन्दावन में,
थाती पुरा सँभाले श्रीधाम वृन्दावन में।
रज अंग पै लगावें श्रीधाम वृन्दावन में,
श्रीश्यामा-श्याम दरश पावे श्रीधाम वृन्दावन में।।
निज मर्जी को भूला दो श्रीधाम वृन्दावन में,
एक अर्जी तो लगालो श्रीधाम वृन्दावन में।
पिय प्यारी को रिझालो श्रीधाम वृन्दावन में,
बस इक नाम धन कमालों श्रीधाम वृन्दावन में।।
श्री राधे का नाम बोलों श्रीधाम वृन्दावन में,
कालिंदी दरश पाओ श्रीधाम वृन्दावन में।
देवालय सप्त देखो श्रीधाम वृन्दावन में,
परिक्रमा एक लगालो श्रीधाम वृन्दावन में।।
।। जीवन सफल बनालो श्रीधाम वृन्दावन में।।
"राधा रानी की जय,यमुने महारानी की जय "
"युगल सरकार की जय,गिर्राज महराज की जय "
"श्री ब्रज रानी की जय, श्री रजरानी की जय "
" जय श्री राधे "