// श्री जानकीवल्लभो विजयते //
आदर्श बालक
कु० महिमा कौशिक
श्री धाम वृन्दाबन, भारत
1. शान्त - स्वभाव होता है
जब सारी बातें उसके विरुध्द जाती है अथवा सभी निर्णय उसके विपक्ष में होते है तब भी वह क्रोधित नहीं होता |
2. उत्साही होता है
जो वह करता है उसे वह अपनी योग्यता के अनुसार उत्तम - से - उत्तम रूप में करता है और यह जानते हुए भी कि असफलता प्रायः निश्चित है, वह अपना कार्य निरन्तर करता है | वह सर्वदा सीधे ढंग से विचार करता और सीधे ढंग से ही कार्य करता है |
3. सत्यनिष्ठ होता है
वह सत्य बोलने से कभी भय नहीं करता परिणाम कुछ भी क्यों न हो |
4. धैर्यशील होता है
अपने प्रयासों का फल देखने के लिए यदि उसे दीर्घ काल तक प्रतीक्षा करनी पड़े तो भी वह निरुत्साहित नहीं होता |
5. सहनशील होता है
वह सभी अनिवार्य कठिनाइयों और दुखो का सामना करता है और उनके कारण मन में जरा भी नहीं झुंझलाता |
6. अध्यवसायी होता है
वह अपने प्रयासों को कभी ढीला नहीं होने देता, चाहे जितने लम्बे समय तक उसे क्यों न जारी रखना पड़े |
7. समचित्त होता है
वह सफलता और विफलता दोनों अवस्थाओ में समता बनाये रखता है |
8. साहसी होता है
वह लगातार अन्तिम विजय के लिए संग्राम करता रहता है, चाहे उसे बहुत सी हारें भी क्यों न मिलें |
9. आनन्दी होता है
वह जानता है कि सब प्रकार की परिस्थितियों में किस तरह हँसा जा सकता है और ह्रदय को प्रसन्न रखा जा सकता है |
10. विनयी होता है
वह अपनी सफलता के ऊपर गर्व नहीं करता और न अपने साथियों से अपने को बड़ा ही समझता है |
11. उदार होता है
वह दूसरे के गुणों की प्रशंसा करता है और सफलता प्राप्त करने में दूसरों को सहायता प्रदान करता है |
12. ईमानदार और आज्ञाकारी होता है
वह सब प्रकार के अनुशासनों को मानता है और सदा ही ईमानदारी से काम लेता है |
जय श्री राधे