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Thursday, July 9, 2009

नेहा लग्यो मेरो श्याम सुन्दर सौं |

// श्री जानकीवल्लभो विजयते //

नेहा लग्यो मेरो श्याम सुन्दर सौं |

संकलन कर्ता :-
श्री मती अनुराधा शर्मा ( कौशिक )
श्री धाम वृन्दाबन, भारत

नेहा लग्यो मेरो श्याम सुन्दर सौं |
आयो बसन्त सवही बन फूले, खेतन फूली है सरसों,
मैं पीरी भई पिया के विरह में, निकसत प्राण अधर सों ||
कहौ जाय मुरली धर सों || नेहा लग्यो....................|

उधौ जी जाय द्वारका में कहियों, इतनी अरज मेरी हरिसौं |
विरह व्यथा में जियरा जरत हो, जवते गये हरि घर सौं ||
दरश देखन कूँ तरसों || नेहा लग्यो...........................|

फागुन में सब होरी खेलत हैं , अपने अपने वर सौं ||
पिया के विरह जोगन है निकसी, धूरि उड़ावत कर सौं |
चली मथुरा की डगर सौं, नेहा लग्यो......................|

सूर श्याम मेरी इतनी अरज है, कृपा सिन्धु गिरधर सौं |
गहरी नदिया नाव पुरानी, वेग उवारो सागर सौं ||
अरज मेरी राधा वर सौं || नेहा लग्यो..............|

जय श्री राधे