// श्री जानकीवल्लभो विजयते //
नेहा लग्यो मेरो श्याम सुन्दर सौं |
संकलन कर्ता :-
श्री मती अनुराधा शर्मा ( कौशिक )
श्री धाम वृन्दाबन, भारत
नेहा लग्यो मेरो श्याम सुन्दर सौं |
आयो बसन्त सवही बन फूले, खेतन फूली है सरसों,
मैं पीरी भई पिया के विरह में, निकसत प्राण अधर सों ||
कहौ जाय मुरली धर सों || नेहा लग्यो....................|
उधौ जी जाय द्वारका में कहियों, इतनी अरज मेरी हरिसौं |
विरह व्यथा में जियरा जरत हो, जवते गये हरि घर सौं ||
दरश देखन कूँ तरसों || नेहा लग्यो...........................|
फागुन में सब होरी खेलत हैं , अपने अपने वर सौं ||
पिया के विरह जोगन है निकसी, धूरि उड़ावत कर सौं |
चली मथुरा की डगर सौं, नेहा लग्यो......................|
सूर श्याम मेरी इतनी अरज है, कृपा सिन्धु गिरधर सौं |
गहरी नदिया नाव पुरानी, वेग उवारो सागर सौं ||
अरज मेरी राधा वर सौं || नेहा लग्यो..............|
जय श्री राधे