|| श्री जानकीबल्लभो जयति ||
मत बाँटो इन्सान को
सूरज सैनी
श्री धाम वृन्दाबन(भारत)
धरती बांटी सागर बांटे, मत बांटों इन्सान को ||
राह सभी तो एक चलेंगे, मंजिल सबकी एक है,
ध्येय सभी का मुक्ति पाना, राहें भले अनेक है |
लक्ष्य उसी को मिल पाता, जो नहीं भूला ईमान को,
धरती बांटी सागर बांटे, मत बांटों इन्सान को ||
नीचे हरी भरी धरती है, ऊपर नील वितान है,
बिना प्यार यह जग है सूना, जलता रेगिस्तान है |
हमें प्यार से सिंचित करना, हर जलती चट्टान को,
धरती बांटी सागर बांटे, मत बांटों इन्सान को ||
साथ चले तो पहरा होगा, सूरज का हर द्वार पर,
हर उदास आनन पर देखें, खिलती नई बहार पर |
धरती बांटी सागर बांटे, मत बांटों इन्सान,
रौंद न पायेगा फिर कोई, जीवन कि मुस्कान को ||
सभी धर्म राह बताएं, इंसानी सदभाव की,
सभी धर्म है गाते गाथा, मानवता के प्रभाव की |
धर्म ग्रन्थ है पाठ पढाते, मत भूलो ईमान को,धरती बांटी सागर बांटे, मत बांटों इन्सान को ||मंदिर मस्जिद गिरजाघर मे बाँट दिया भगवन को,
धरती बांटी सागर बांटे, मत बांटों इन्सान को ||
जय श्री राधे