महामंत्र > हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे|हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे||

Friday, May 29, 2009

एक अदभुत मशीन

|| श्री जानकीबल्लभो जयति ||

सुन्दर विचार

पं. लक्ष्मीकांत शर्मा (कौशिक)
श्री धाम वृन्दाबन (भारत) 
शरीर स्वचालित,कोमल, नाजुक, सूक्ष्म परन्तु अनंत मजबूत यंत्रों से सुसज्जित है | 
जो हमारे जीवन का आधार है :-
१. ह्रदय व् फेफडे न रुकने वाला पम्प है |
२. आँखे आश्चर्यजनक कैमरा व प्रोजेक्टर है |
३. कान अद्भुत ध्यान व्यवस्था है |
४. पेट आश्चर्यजनक लेबोरेटरी है |
५. नाडियाँ मीलों तक फैली संचार व्यवस्था है |
६. अनंत किस्मों से युक्त मन आदर्श कंप्यूटर है |

उपरोक्त यंत्रों के बीच अद्भुत सामंजस्य और भी साकार है | यदि इन की रक्षा व इन्हें परहेज पूर्ण रूप से रख सकें तो जीव सैकडों वर्ष तक जीवित रह सकता है | यह शरीर जीव को परम पिता परमेश्वर ने दिया है | जो कि एक अमूल्य उपहार व उसी परम पिता परमेश्वर की धरोहर है | अतः हमें इसके दुरुपयोग करने का भी कोई अधिकार नहीं है | ईश्वर के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए इसका रख रखाव करते हुए प्रभु के बताये कार्यों मे ही इसे लगाना चाहिए | हमें कभी भी इससे खिलवाड़ नही करनी चाहिए| तभी तो प्रभु द्वारा निर्देशित कर्मक्षेत्र मे सद्कार्य करते हुए उद्देश्यों को प्राप्त कर सकेंगे और जीवनदाता के प्रति आभार प्रकट कर सकेंगे | परोपकार व प्रभु का ही कार्य समझकर हमें सहयोगी भावना रखते हुए औरों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए | इसी आशा व पूर्ण विस्वाश के साथ ...................
जय श्री राधे