|| श्री जानकीबल्ल्भो जयति ||
विश्वास
कु० पुष्पा सैनी
कक्षा - 6
श्रीधाम वृन्दाबन - भारत
तुम मुझकों विश्वास दो मै तुमको विश्वास दूँ |
शंकाओं के सागर तर जायेंगे, मरुधरा को स्वर्ग बनायेंगे ||
प्रेम बिना यह जीवन तो अनजाना है,
सब अपने है, कौन यहाँ बेगाना है |
हर पल अपना अर्थवान हो जायेगा,
बस थोडा सा मन में प्यार जगाना हैं ||
इस जीवन को सज दो, मौन नहीं आवाज दो |
पाषाणों में मीठी प्यास बुझाएंगे, मरुधरा को स्वर्ग बनायेंगे ||
अलगावों से आग सुलगाने लगाती है,
उपवन की हर शाख झुलसने लगती है |
हर आँगन में सिर्फ सिसकियाँ उठती है,
सम्बन्धों की साँस उखडने लगती है ||
द्वेष भाव को व्याग, बस सबको अनुराग दो |
माटी में सरगम उपजायेंगे, मरुधरा को स्वर्ग बनायेंगे ||
ढूढ़ सको तो इस माटी में सोना है,
हिम्मत का हथियार नहीं बस खोना है |
मुसका दो तो हर मौसम मस्ताना है,
बीत गया जो वक्त उसे क्या रोना है ||
लो हाथों में हाथ लो, एक दूजे का साथ दो |
धरती पर सोया प्यार जगायेंगे, मरुधरा को स्वर्ग बनायेंगे ||
तुम मुझको विश्वास दो, मै तुमको विश्वास दूँ |
जय श्री राधे