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Friday, May 29, 2009

|| श्री जानकीबल्ल्भो जयति ||

विश्वास 

कु० पुष्पा सैनी
कक्षा - 6
श्रीधाम वृन्दाबन - भारत

तुम मुझकों विश्वास दो मै तुमको विश्वास दूँ |
शंकाओं के सागर तर जायेंगे, मरुधरा को स्वर्ग बनायेंगे ||

प्रेम बिना यह जीवन तो अनजाना है,
सब अपने है, कौन यहाँ बेगाना है |
हर पल अपना अर्थवान हो जायेगा,
बस थोडा सा मन में प्यार जगाना हैं ||

इस जीवन को सज दो, मौन नहीं आवाज दो |
पाषाणों में मीठी प्यास बुझाएंगे, मरुधरा को स्वर्ग बनायेंगे ||

अलगावों से आग सुलगाने लगाती है,
उपवन की हर शाख झुलसने लगती है |
हर आँगन में सिर्फ सिसकियाँ उठती है,
सम्बन्धों की साँस उखडने लगती है ||

द्वेष भाव को व्याग, बस सबको अनुराग दो |
माटी में सरगम उपजायेंगे, मरुधरा को स्वर्ग बनायेंगे ||

ढूढ़ सको तो इस माटी में सोना है,
हिम्मत का हथियार नहीं बस खोना है |
मुसका दो तो हर मौसम मस्ताना है,
बीत गया जो वक्त उसे क्या रोना है ||

लो हाथों में हाथ लो, एक दूजे का साथ दो |
धरती पर सोया प्यार जगायेंगे, मरुधरा को स्वर्ग बनायेंगे ||
तुम मुझको विश्वास दो, मै तुमको विश्वास दूँ |

जय श्री राधे