महामंत्र > हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे|हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे||

Saturday, May 30, 2009

एक शिक्षा

|| श्री जानकीबल्लभो जयति ||

परलोक मे सुई

कु. नुपुर गौतम
श्री धाम वृन्दाबन (भारत)
गुरु नानक देव जब लाहोर गए तो करोड़पति दुलीचंद ने उन्हें ब्रह्मभोज पर आमंत्रित किया | खूब सजाबट की गयी | नाना प्रकार के पकवानों की सुगंध से सारा वातावरण महक रहा था | गुरूजी ने सब कुछ देखा तो उन्हें बताया गया कि यह जो सजाबट की गयी है और जो पकवान बने है उनमें एक लाख रुपये लगे हैं |

गुरुनानकजी ने उचित समय समझकर दुलीचंद को एक सुई दी और कहा - '' इसे संभाल कर रखना और परलोक मैं मुझे लोंटा देना | दुलीचंद हक्का - बक्का रह गया और बोला - गुरूजी यह कैसे सम्भब है ?'' तब गुरूजी ने कहा - जब एक सुई भी तेरे साथ नहीं जा सकती तो इस अपर धन का क्या करेगा | दुलीचंद गुरूजी की बात को एकदम समझ गया और अपने आडम्बर पर पछताने लगा | उस समय के बाद वह अपना सारा धन गरीबों की सेवा मे लगाने लगा |

जय श्री राधे