|| श्री जानकीबल्ल्भो जयति ||
धरती का इन्सान एक है
कु. राखी शर्मा श्री धाम वृन्दाबन (भारत)
जांति पांति के भेद झूठे है झूठी मजहब की दीवारें |
मंदिर, मस्जिद के झगडे मे, चलती हैं खुनी तलवारें ||
एक हवा सबके सीने मे, अलग-अलग साँसे भरती है ||
भिन्न-भिन्न पूजा की विधियां, किन्तु पूज्य भगवान एक है |
लाल रक्त बहता है सब मे, सबके अंदर प्राण एक है ||
किन्तु सभी का लक्ष्य एक है, साझी है जीने की आशा
अलग-अलग भाषायें होती, भिन्न-भिन्न करते परिभाषा || भारत माँ के सब सपूत है, कुछ काले कुछ हैं उजले ||
देश भिन्न परिवेश भिन्न है, किन्तु एक माटी के पुतले |
सब धर्मों के ग्रन्थ भिन्न है, किन्तु सभी का ज्ञान एक है |
हम सब के दुःख सुख है साझे हम सब का भगवान एक है ||
जय श्री राधे