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Sunday, March 29, 2009

कुछ शर्म करो, होश मत खोओ

// श्री जानकीवल्लभो विजयते //
कुछ शर्म करो, होश मत खोओ

पं. लक्ष्मीकान्त शर्मा
( कौशिक ) 
श्रीधाम वृन्दाबन - भारत


यह ठीक है कि देश कहने को स्वतन्त्र है और बैचारिक स्वतंत्रता सभी को प्राप्त है | परन्तु निश्चित सीमाओं का पालन करते हुए सभी को अपने विचार वक्त करने चाहिए | यह माना कि चुनावी बुखार शुरू हो गया है | नेताओं को मौसमी हवा लगने से वह अब वायु की बीमारी के कारण अनाप - शनाप जर्र - वक्की ( गलत वयानवाजी ) देने लगे हैं
शुक्रवार दिनाँक २७ - ०३ - २००९ को प्रात: ०८:३० बजे पर न्यूज २४ चैनल पर आमने - सामने कार्यक्रम के तहत एडीटर इन चीफ अनुराधा जी और बी जे पी के अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह जी की वार्तालाप का प्रसारण किया गया जिसमें एक प्रश्न के उत्तर में श्री राजनाथ सिंह जी ने लाखों देशवासियों के हृदय में विराजमान सर्वोच्च आस्था व प्रेम के प्रतीक व गीता के उपदेशक श्रीकृष्ण जी के बारे में कहा कि "श्री आडवाणी जी श्रीकृष्ण हैं और हम बी जे पी के प्रमुख कार्यकर्ता अर्जुन" दूसरे प्रश्न के उत्तर मे कहा कि "हम भी कभी कृष्ण बनेगें" | यह बात एक राष्ट्रीय पार्टी जो अपने को हिन्दूवादी कहती है उसके विवेकवान अहम् नेता के द्वारा वास्तव में यही सन्देश देती है कि वह अविवेकी हो गये हैं | भगवान श्रीकृष्ण जी की जितनी भी विशेषता है | वह असाधारण है | परन्तु न जाने कैसे और क्यों यह चुनाव के खुमार मे डूबे नेता जी श्री आडवाणी जी की और अपनी तुलना जगदगुरु श्रीकृष्ण जी से कर रहे हैं | नेता जी की इस बयान बाजी पर उनके ऊपर तरस भी आता है | और हँसी भी आती है | क्यों कि वह कुर्सी की दौड़ में आवेश तथा मानसिक सन्तुलन और सोचने की क्षमता ही खो बैठे हैं | 
श्री कृष्ण बनाने व बनने से पहले महान व्यक्तित्व के छोटे से छोटे किसी एक कार्य को करके तो दिखायें फिर आगे के बारे में सोचें | नेता जी आप के इस वक्तव्य से कोई भी श्रीकृष्ण अनुयायी आपसे सहमत नहीं होगा ऐसा पूर्ण विश्वास है | आपने बोलने से पहिले क्या एक बार हृदय व विवेक की तराजू पर तोला था | 
आश्चर्य होता है कि क्या श्रीकृष्ण जी के बारे में नेता जी शायद आधी अधूरी जानकारी रखते हैं | पूर्ण जानकारी प्राप्त करनी है तो श्रीधाम वृन्दावन की ग्यानगूदड़ी की रज में आकर श्रद्धाभाव से आश्रय लें, तो निश्चय ही उध्दव जी को जैसे ज्ञान की प्राप्ति हुयी थी | वैसे ही शायद आप को भी ज्ञान प्राप्त हो जाये | तभी अनर्गल वार्ता करने से छुटकारा पायेंगे | 
ताज्जुब तो तब हुआ जब श्री अनुराधा जी जैसी सुलझी हुयी चीफ एडीटर महोदया जी ने नेता जी की इस बात पर खिंचाई नहीं की | और ना ही विरोध जताया | क्यों कि कुर्सी का स्थान भी कम नहीं कहा जाता है | 
पत्रकार समाज व देश के एक स्तम्भ होते हैं क्या पार्टी के अहम् नेता श्री आडवाणी जी भी इस वक्तव्य से सहमत हैं ? और अन्य सहयोगी जो अपना वजूद अधिक रखते हैं वह भी इससे सरोकार रखते हैं | श्रीकृष्ण जी की बराबरी करते हैं तो अपनी सुरक्षा में ब्लैक कैट कमाण्डो और निजी सुरक्षा में गार्ड क्यों रखते हैं | अत: यदि थोड़ी भी मानवता और विवेक किसी कौने में है तो इस शर्मनाक, फूहड़ और अनैतिक वक्तव्य के लिये सार्वजनिक रूप से उसी चैनल पर परम आराध्य पूर्ण अवतार स्वरूप श्रीकृष्ण जी से प्रार्थना करके पश्चाताप करें | और अनुयायियों से खेद प्रगट करें | या उनके कार्यों में से कोई छोटे से छोटा जिसे उचित समझें उसे क्रियान्वित करके दिखायें | अन्यथा कोप के भाजन तो बनना अवश्य भावी ही है |
परम कृपालु जगदगुरु श्रीकृष्ण जी से प्रार्थना हैं कि वह नेता जी व उन जैसे अनेक मादान्ध नेताओं को सदबुद्धि प्रदान करें |

नोट :- यदि आप पाठक गण मेरे विचार से सहमत हैं तो कृपया इस लेख को आगे प्रचारित करें |
जय श्री राधे