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Sunday, March 8, 2009

ब्रज की होली व हुरंगा

// श्री जानकीवल्लभो विजयते //
पिछले अंक का शेष
ब्रज की होली व हुरंगा
कु. आकाँक्षा तिवारी ( शिखा ) 
शिक्षिका
श्री धाम वृन्दाबन - भारत
ब्रज क्षेत्र में एक कहावत भली प्रकार से कही जाती है जो सत्य है और आज भी प्रचलित है ब्रज मंडल में आने वाले सभी गाँव, घर, मुहल्ले में यह बात आज भी दोहरायी व गायी जाती है एक पक्ष से हुरियारे कहते हैं :-
हो - हो - हो - हो होरी है
हो - हो - हो - हो होरी है
और दूसरे पक्ष से हुरियारिनें कहती हैं :-
नन्द गाँव के छोरा है
बरसाने की छोरी है
हो - हो - हो - हो होरी है
इसी प्रकार से सब इस रंग भरी होली का आनन्द उठाते हैं | ब्रज की होली का आनन्द प्राप्त करने तथा रास रासेश्वरी श्रीकिशोरी जी और रासबिहारी श्रीठाकुर जी का सानिध्य करने दूर - दूर से श्रद्धालु आज भी आते हैं और सभी श्रद्धालु एक ही बात को दोहराते हैं कि ब्रज की होली पाँच प्रकार से मनायी जाती है | बड़े - बड़े मनीषियों का मानना है कि ब्रज की पाँचों होली हमें अधिक से अधिक शिक्षा अर्थात सीख देती है | प्रत्येक व्यक्ति के मन में इन पाँचों होली को जानने व देखने की इच्छा होती है |
ये पाँचों होली इस प्रकार हैं :-
१ - सुगन्धित होली :- यह होली ब्रज मण्डल के सभी मन्दिरों में प्रारंभ में होती है | इस होली में श्रीठाकुर जी व श्रद्धालुओं पर फूलों की वर्षा होती है | इस होली से हमें अपने जीवन में एक सुगन्ध सी महसूस होने लगती है और इसी सुगन्ध से श्रीठाकुर जी की कृपा का एहसास होता है | इसमें केशर, गुलाब जल की बौछार भी होती है |
२ - रंग भरी होली :- फूलों की होली के बाद रंगों की बारी आती है इन रंगों के आपस में मिलने और श्री ठाकुर जी पर पड़ने के बाद जब दर्शनार्थिओं पर पड़ता है तो उसका जीवन और भी धन्य हो जाता है |
३ - लट्ठों कि होली :- जो होली लट्ठों द्वारा खेली जाती है उसे हुरंगा कहते हैं जब हुरियारे लट्ठों के वार को ढाल से बचाते हैं तब हमें एक सीख यह मिलती है कि चोट मिले मगर उससे बचना चाहिए |
४ - कोड़ो कि होली :- इस होली में कोड़ों की मार पड़ती है परन्तु ये मार भी विश्वास जगाने वाली है इसके माध्यम से मनुष्य को सीखना चाहिए कि जिस प्रकार घोड़े को चाबुक की मार से सही दिशा प्राप्त होती है उसी प्रकार कोड़े की मार से होली में नया रंग आता है |
५ - रसभरी होली :- ये होली रसभरी इसलिए कही जाती है | क्यों कि यह मिठाई, लड्डू से खेली जाती है | यह होली प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में मिठाई घोल जाती है यह होली बताती है कि अपने मन की कड़वाहट निकाल कर मिठास में बदल डालो |
ब्रज मण्डल की इन पाँचों होली से भरपूर आनन्द और शिक्षाएँ प्राप्त होती है | इन सभी कारणों से ब्रज की होली अपना एक अलग महत्त्व रखती है |
ज्यादा कुछ न कहते हुए संक्षेप में कहा जाये कि होली में पुराना सब भूल कर भेदभाव छोड़कर एकता से प्रेम से विश्वास से और नम्रता से होली के रंगों से अपना जीवन रंगना चाहिए और विश्वबन्धुत्व की भावना को जागृत करना चाहिए | 
"बीती ताय विसारिये, अब आगे की सुध लेओ"
जो होलिया सो होलिया, जो आगे होना है उसका ध्यान रखना आवश्यक है |
जय श्री राधे