// श्री जानकीवल्लभो विजयते //
|| ॐ नमः शिवाय ||
महाशिवरात्रि पर्व पर विशेष !
महाशिवरात्रि
"महाशिवरात्रि" का पर्व संसार के प्रत्येक कोने में मनाया जाता है | इस व्रत का महत्त्व बहुत ही है क्यों कि भगवान शिव व माँ पार्वती के विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है | भगवान शिव व माँ पार्वती समस्त जीवों के कल्याण कर्ता हैं | भगवान शिव देवताओं के भी देव हैं और माँ पार्वती स्वयं जगदम्बा हैं | जो व्यक्ति सच्चे हृदय से भगवान शिव का पूजन, अर्चन, वन्दन और व्रत करते हैं उनकी सभी मनोकामना भोले नाथ पूरी करते हैं | महाशिवरात्रि को कई नामों से जानते हैं :- बम भोला चौदस, शिव चौदस, शिवरात्रि आदि | इस दिन सभी व्रत करते हैं और बैर फल, विल्व पत्र, मन्दार पुष्प, अन्य पुष्प, रोली, चन्दन, दूध, गंगा जल, धूप बत्ती, घी का दीपक, कपूर, दक्षिना आदि से पूजन करते हैं | शिव शंकर जी पर मुख्य रूप से धतूरा व भाँग चढाये जाते हैं वैसे भगवान शिव पर जो कुछ पूर्ण श्रद्धा से चढाओ तो प्रभु सहज में ही प्रसन्न होते हैं इसी कारण इन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है | इस बात का प्रमाण इस कथा से होता है |
एक बार एक चोर राजा के सिपाही से बचने के लिए भगवान शिव जी के मन्दिर में छिप गया | वहाँ उसने देखा कि मन्दिर में सोने का घन्टा लगा हुआ है जिसे देखकर उसे लालच आ गया और वह उस घन्टे को उतारने लगा परन्तु घन्टा काफ़ी ऊँचाई पर लटका था, इसलिए वह शिवलिंग पर चढ़ गया और घन्टा उतारने लगा, इस पर भगवान शंकर जी प्रगट हो गये और कहने लगे माँग तू क्या माँगना चाहता है ? तब वह चोर बोला हे प्रभु ! मैं तो चोर हूँ और राजा के सिपाही से बचने के लिए यहाँ आकर छुप गया, मन में लालच आने के कारण आपका सोने का घन्टा उतारने लगा | वैसे न ही मैंने आपकी पूजा की और न ही तपस्या, फ़िर आप मुझ पर कैसे प्रसन्न हो गये |
चोर की बातों को सुनकर भगवान शिव जी बोले :- लोग तो मुझ पर केवल पूजन की सामग्री व जल ही चढाते हैं, पर तूने तो मुझ पर स्वयं को ही चढ़ा दिया है, इसलिए मैं तुझ पर प्रसन्न हूँ | चोर के अन्तः नेत्र खुल गये और वह भगवान के चरणों में लोट लगाने लगा, इससे उस चोर को भी अन्त मे मोक्ष की प्राप्ति हुई | और शिव धाम को प्राप्त हुआ |
भगवान शिव जी का पूजन वन्दन करने से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं | यह व्रत स्त्री - पुरूष सभी के लिए सर्वश्रेष्ठ फलदायक होता है | इसके प्रभाव से गृहस्थ जीवन सुखमय होता है और कुवाँरी कन्या करे तो मनचाहे वर की प्राप्ति होती है | इस व्रत को करने के लिए कोई पाबन्धी नहीं होती, जो भी चाहे कर सकता है | चाहे वो बालक हो, बृद्ध हो, नर हो या नारी | सभी के लिए श्रेष्ठ है |
ॐ नमः शिवाय