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Saturday, February 7, 2009

बसन्त ऋतु का महत्त्व

// श्री जानकीवल्लभो विजयते //
बसन्त ऋतु का महत्त्व

कु. आकाँक्षा तिवारी ( शिक्षिका )
श्री धाम वृन्दाबन-भारत
ऋतुएँ तो छ: होती हैं | परन्तु सबको बसन्त ऋतु ही अधिक प्रिय होती है | मानव ही नहीं अपितु, जड़ - चेतन, जीव जन्तु व पशु - पक्षी सभी को बसन्त ऋतु प्रिय होती है | इसी कारण से बसन्त ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा गया है |
इस ऋतु के आगमन से मन प्रसन्न हो जाता है | पेड़ों पर नये पत्ते, फूल, फल दिखने लगते हैं | पतझड़ के मौसम में सारे पत्तों के झड़ने से जो वृक्ष अपनी सुन्दरता खो चुके होते हैं वे पुन: सुन्दर दिखने लगते हैं | चारों और धरती सुनहरी चादर ओढ़ें नववधु सी प्रतीत होती है | सरसों के फूलों से जब धरती माता लदी होती हैं तो ऐसा प्रतीत होता है मानो सूर्यदेव जी अपनी पूरी कान्ति को लेकर धरती पर क्रीड़ा कर रहे हों |
मोर, कोयल और सभी पक्षी अपनी मधुर आवाज में कोलाहल करते हैं | उनके कोलाहल से उनकी प्रसन्नता का अनुभव होता है | बसन्त ऋतु में हर कार्य को खुशी व उल्लास से किया जाता है, किसी प्रकार का कोई आलस्य नहीं होता | वीरों में भी बसन्त ऋतु के आगमन से नई स्फूर्ति उत्पन्न होती है |
बसन्त ऋतु के आगमन का इन्तजार कृषक भी करते हैं, क्यों कि इस ऋतु में फसलों में दुगनी तेजी से वृद्धि होती है जिसके कारण कृषक प्रसन्न होते हैं | प्रकृति में चारों और नये उत्साह और प्रसन्नता का वातावरण दिखाई देने लगता है जिससे सभी जीवों में ऊर्जा कि उत्पत्ति होती है |
जय श्री राधे