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Thursday, November 13, 2008

श्री तुलसी माता

श्री जानकीवल्लभो विजयते
श्री तुलसी माता
भारतीय संस्कृति में सहस्त्रों वर्षों पूर्व से वृक्षों वनस्पतियों को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है. हमारे वैदिक साहित्य चिंतन में भी मानव जीवन की समृद्धि और स्वस्थता के लिए वनस्पति के महत्त्व को स्वीकार किया गया है. प्राचीन वेदों के समकक्ष एवं उपवेद माने जाने वाले आयुर्वेद में भी वृक्षों - वनस्पतियों के औषधि युक्त गुणों का स्वीकार कर के शारीरिक तथा मानसिक आरोग्य की सुरक्षा में उनके बहुमूल्य योगदान का स्वीकार किया गया है. इसी लिए हम अपने दैनिक जीवन में वृक्षों और वनस्पतियों का मूल्यांकन धार्मिक श्रद्धा एवं आदर के साथ करते है.
हमारे ग्राम्य जीवन में तो वृक्ष और वनस्पतियाँ सामाजिक जीवन के अविभाज्य अंग बन गए थे. अतएव अधिकांश धार्मिक उत्सवों में वृक्ष पूजा होती थी. धार्मिक दृष्टि से और श्रृंगार के लिए वृक्ष महत्वपूर्ण बन गए थे. नीम, पीपल, बरगद, अशोक आदि वृक्ष हमारे जीवन के अंग बन गए थे. इन समस्त वृक्षों - वनस्पतियों में सर्वाधिक धार्मिक, आध्यात्मिक, आरोग्यलक्षी एवं शोभा की दृष्टि से तुलसी को मानव जीवन में महत्वपूर्ण, पवित्र तथा श्रद्धेय स्थान प्राप्त है.
प्रत्येक हिंदू के घर आँगन में तुलसी वृक्ष का होना घर की शोभा, घर के संस्कार, पवित्रता तथा धार्मिकता का अनिवार्य और एक मात्र प्रतीक चिन्ह है. कई संपन्न घरों में तुलसी का पक्का गमला बना होता है. उसके चारों और इष्ट देवों की स्थापना की जाती है. बीच में शुद्ध मिट्टी और गाय के गोबर की खाद वाले मिश्रण में भक्ति पूर्वक तुलसी के पौधे का संवर्द्धन किया जाता है. कुछ घरों के बरामदे या बाड़े की खुली जगह में तुलसी के आठ - दस पौधे लगाये जाते हैं. इस प्रकार "तुलसी वन " की रचना भी की जाती है.
प्रत्येक हिंदू गृहिणी अपनी दैनिक क्रियाओं के आरम्भ में स्नानादि से निवृत होकर देव पूजा करती है. तत्पश्चात् तुलसी वृक्ष में जल सिंचन करके आँचल फैलाकर प्रणाम करती हैं. और पारिवारिक स्वजनों के लिए सुख शान्ति और समृद्धि की प्रार्थना करती है. इसी प्रकार प्रतिदिन शाम को सूर्यास्त के बाद तुलसी क्यारी में घी का दीपक रखकर उसकी पूजा करती है. हिंदू पञ्चांग के अनुसार वर्षाऋतु के चार महीनों (जिसको चातुर्मास कहा जाता है ) के दौरान "तुलसी पूजा " एक अनिवार्य धार्मिक विधि बन जाती है. इस प्रकार युगों से धार्मिक परम्परा में प्रत्येक हिंदू गृहस्थ के घर आँगन में तुलसी का गमला हिंदू संस्कृति का प्रतीक बनकर आध्यात्मिक शोभा, समृद्धि और स्वस्थता में वृद्धि करता है.
श्री पं. लक्ष्मीकान्त शर्मा (कौशिक)
श्रीधाम वृन्दाबन - भारत
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