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Tuesday, November 11, 2008

श्री बजरंग बाण

// श्री जानकीवल्लभो विजयते //
श्री बजरंग बाण का पाठ किसी विशेष सात्विक उद्देश्य को लेकर, श्री हनुमान जी की पूजा अर्चना करके पाठ सुनाने से मनोकामना शीघ्र पूरी होती है. 
श्री बजरंग बाण
निश्चय प्रेम प्रतीत ते, विनय करें सनमान.
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करें हनुमान..
जय हनुमन्त सन्त हितकारी, सुन लीजै प्रभु अरज हमारी..
जन के काज विलम्ब न कीजे, आतुर दौरी महा सुख दीजै..
जैसे कूदि सिन्धु महि पारा, सुरसा बदन पैठी विस्तार..
आगे जाई लंकिनी रोका, मारेहु लात गई सुर लोका..
जाय विभीषण को सुख दीन्हा, सीता निरखि परम पद लीन्हा..
बाग़ उजारि सिन्धु महँ बोरा, अति आतुर यम कातर तोरा..
अक्षय कुमार को मार संहार, लूम लपेट लंक को जारा..
लाह समान लंक जरि गई, जय जय जय ध्वनि सुरपुर में भई..
अब विलम्ब केहि कारन स्वामी, कृपा करहु उर अन्तर्यामी..
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता, आतुर होय दुख करहु निपाता..
जै गिरिधर जै जै सुख सागर, सुर समूह समरथ भट नागर..
ओं हनु हनु हनु हनुमन्त हठीले, बैरिहि मारु वज्र की कीले..
गदा बज्र ले बैरिहि मारो, महाराज प्रभु दास उबारो..
ऊँकार हुँकार प्रभु धावो, बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो..
ओं ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीशा, ओं हुँ हुँ हुँ हनु उर शीशा..
सत्य होहु हरि शपथ पाय के, राम दूत धरु मारु जाय के..
जय जय जय हनुमन्त अगाधा, दुःख पावत जन केहि अपराधा..
पूजा जप तप नेम अचार, नहीं जानत हों दास तुम्हारा..
बन उपवन मग गिरी गृह मांही, तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं..
पाँय परौं कर जोरि मनावौं, यहि अवसर अब केहि गोहरावों..
जय अन्जनि कुमार बलवन्ता, शंकर सुवन वीर हनुमन्ता..
बदन कराल काल कुल घालक, राम सहाय सदा प्रति पालक..
भूत प्रेत पिशाच निशाचर, अग्नि बैताल काल मारी मर..
इन्हें मारु तोहि शपथ राम की, राखु नाथ मर्याद नाम की..
जनक सुता हरि दास कहावो, ताकी शपथ विलम्ब न लावो..
जै जै जै धुनी होत अकाशा, सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा..
चरण शरण कर जोरि मनावौं, यहि अवसर अब केहि गोहरावौ..
उठु उठु चलु तोहि राम दोहाई, पायं परौं कर जोरि मनाई..
ओं चं चं चं चं चपल चलंता, ओं हनु हनु हनु हनु हनुमंता..
ओं हँ हँ हँ हाँक देत कपि चंचल, ओं सं सं सहमि पराने खल दल..
अपने जन को तुरत उबारो, सुमिरत होय आनंद हमारो..
यह बजरंग बाण जेहि मारो, ताहि कहो फ़िर कौन उबारे..
पाठ करै बजरंग बाण की, हनुमत रक्षा करै प्राण की..
यह बजरंग बाण जो जापै, ताते भूत प्रेत सब कांपै..
धुप देय अरु जपैं हमेशा, ताके तन नहीं रहै क्लेशा..
प्रेम प्रतीतिहि कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान.
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करें हनुमान..
सियावर रामचन्द्र जी की जय.......