श्री जानकीवल्लभो विजयते
श्रीतुलसी पूजन क्यों करें !
शास्त्रकारों ने स्त्रियों के लिए तुलसी पूजन का विशेष महत्त्व माना है. तुलसी वंश वृक्ष के उत्तरोत्तर पुष्पित - पल्लवित - विकसित होने तथा सौभाग्य का शुभ प्रतीक है. तुलसी औषधि के रूप में भी अत्यन्त गुणकारी है. आदि काल से भारत - वर्ष में सद्ग्रहस्थों के आँगन की शोभा बढ़ती आ रही है. तुलसी की पवित्रता शाश्वत रहेगी. श्रीसीता माता जी की खोज में गए हुये, श्रीहनुमान जी ने तुलसी के पौधों को देखकर ही लंका में श्रीराम भक्त विभीषण का घर खोज निकाला था. श्रीगोस्वामी तुलसी दास जी लिखते हैं -
रामायुध अंकित गृह शोभा बरनि न जाइ,
नव तुलसी का वृन्द तहँ देखि हरषि कपिराइ,,
स्त्रियों को प्रतिदिन प्रात: काल में स्नानादि से निवृत हो कर, मस्तक पर सिन्दूर धारण करके तुलसी पूजन अवश्य करना चाहिये. प्रत्येक नारी यही चाहती है कि उसका सौभाग्य एवं सुख सर्वदा फलता फूलता रहे. उसकी यह कामना पवित्र तुलसी में एकाकार हो जाती है. तुलसी को जल से सींचने, रोली अक्षत अर्पित करने तथा दीप - दान करने के साथ इस मन्त्र का पाठ भी करना चाहिये. यह मन्त्र मंगलकारी है -
सौभाग्यं सन्तति देवि, धनं धान्यउच मे सदा.
आरोग्यं शोकशमनं, कुरू मे माधवप्रिये..
पं. लक्ष्मीकान्त शर्मा (कौशिक)
श्रीधाम वृन्दाबन - भारत
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