आओ पुण्य कमाते हैं
घर में कुम्भ मनाते हैं
प्रेम अपनत्व आनंद की
त्रिवेणी में परिवार संग
डूबकी लगाते हैं
क्या हुआ जो जा न पाए
करने कुम्भ स्नान
क्या हुआ जो लेना पाए
संतो से आशीर्वाद
आओ बुजुर्गों को शीश नवाते हैं
घर में कुम्भ मनाते हैं
आओ हम सब मिल
आध्यात्मिक चिंतन करते हैं
साथ बैठ कर सब संग
भजन कीर्तन करते हैं
दान पुण्य आज मिल करते हैं
घर में कुम्भ मनाते है
गंगा सा पवित्र जब मन होगा
यमुना सा हृदय में प्रेम होगा
सरस्वती सा जब ज्ञान होगा
इसी त्रिवेणी संगम से
स्वयं का कल्याण होगा