हम शिक्षक वेलेंटाइन मनाते,
सोचों कैसा दीवाना ।
अहर्निश नहीं ध्यान हटाते,
कोमल दिल का खजाना ।
प्यार हमेशा बच्चों से कर ,
नफ़रत का नहीं जमाना ।
डेट भेंट का मतलब यहां ,
समय पर आकर पढ़ाना ।
हाथ गुलाब नहीं पुस्तक रहता,
चाह राह सही दिखलाना ।
मिलते हैं जब प्रथम सुबह में,
गुड मॉर्निंग से सुहाना ।
पठन-पाठन नित्य एक साधना,
सदा प्रेम से सीखलाना ।
जाति धर्म नहीं उंच नीच का ,
सभी को लक्ष्य तक पहुंचाना ।
खेल-कूद गतिविधि कुछ भी,
मिलकर करते मस्ताना ।
क्या कुछ नित्य नया सीखाऊं,
यही सोच स्कूल आना ।
---:::---
- गोपाल पाठक