महामंत्र > हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे|हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे||

Tuesday, February 11, 2025

विश्व चकित है

विश्व चकित है होना भी चाहिये
ना कोई मास्क हैं ना कोई दूरियां हैं ना कोई सैनिटाइजर्स हैं 
करोड़ों मानव एक ही नदी में एक सीमित जगह पर स्नान कर रहे हैं 
और कोई महामारी नहीं फैल रही सारे कीटाणु और जीवाणु दुम दबाये पड़े हैं
कैसी श्रद्धा है कैसी गंगा मां है कैसी आस्था है 
और कैसा कुंभ है कैसा धर्म है कैसा विज्ञान है कैसा सितारों का योग है
जन सैलाब एक ही उद्देश्य को लेकर उमड़ रहा है
 पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति ना कोई जात-पात का भेद 
ना कोई वर्ण का भेद
ना कोई ब्राह्मण ना क्षत्रिय ना वैश्य 
और ना शूद्र ना कोई ऊंचा ना कोई नीचा
सब समान हे आधुनिक विज्ञान
एक बार फिर से बैठ कर गहन चिंतन करो
क्यों नहीं फैल रही महामारी 
क्या होता है मोक्ष, कोशिश करो जानने की
क्या होते हैं पाप और पुण्य
क्या होता है पुनर्जन्म जानो आधुनिक विज्ञान 
तुम्हें अभी बहुत कुछ जानना है। 
झुको आस्था के आगे धर्म के आगे हो सकता है 
आस्था का विज्ञान, धर्म का विज्ञान 
तुमसे बड़ा हो थोड़ा झुकना सीखो 
आधुनिक विज्ञान कहते हैं झुकने से ज्ञान बढ़ता है।