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Sunday, October 6, 2024

क्यों बोए जाते हैं जौ गेहूं और जौ

नवरात्र में कलश के सामने गेहूं और जौ को मिट्टी के पात्र में बोया जाता है और इसका पूजन भी किया जाता है। हममें से न अधिकतर लोगों को पता नहीं होगा कि जौ आखिर क्यों बोते हैं? नवरात्र में जौ बोने का विशेष महत्त्व है। नवरात्र के दौरान जौ बोने की परंपरा सदियों पुरानी बताई है। 

भारतीय सनातन संस्कृति में पर्व और उनको मनाए जाने का विधान शास्त्रों में व्यवस्थित किया गया है। इसमें धार्मिक परंपराओं के साथ ही वैज्ञानिक रहस्य भी छुपे हुए हैं। इन्हीं रहस्यों में यह प्रश्न सामने आता है कि नवरात्र में जौ क्यों बोए जाते हैं? तैत्तिरीय उपनिषद ने अन्न को ईश्वर कहा गया है - अन्नं ब्रह्मेति व्यजानात्। वहां अन्न की निंदा व उसके तिरस्कार के लिए निषेध किया गया है- अन्नं न निन्द्यात् तद् व्रतम्। ऋग्वेद में बहुत से अन्नों का वर्णन है, जिसमें यव अर्थात जौ की गणना भी हुई है। मीमांसा का एक श्लोक जौ की महत्ता बताता है कि वसंत ऋतु में सभी
फसलों के पत्ते झड़ने लगते हैं पर मद शक्ति से भरे हुए जौ के पौधे दानों से भरे कणिश (बालियां) के साथ खड़े रहते हैं। संस्कृत भाषा का यव शब्द ही जव उच्चरित होते।