भजन करूं और ध्यान धरूं, छैंया कदमन की मैं,
सदा करूं सत्संग मंडली, संत जनन की मैं.
लग रही आस करूं ब्रजवास,
पलकन डगर बुहार रेणुका, ब्रज गलियन की मैं,
अभिलाषी प्यासी रहें अंखियां, हरि दरसन की मैं।।
लग रही आस करूं ब्रजवास,
भूख लगै घर घर तें भिक्षा, करूं द्विजन की मैं,
गंगा जल में धोय भेंट करूं, नंदनंदन की मैं,
लग रही आस करूं ब्रजवास...
शीत प्रसाद हि पाय करूं, शुद्धि निज तन की मैं,
सेवा में सदा रहूं नित मैं हरि भक्तन की मैं,
लग रही आस करूं ब्रजवास...
ब्रज तज इच्छा करूं नहीं, बैकुंठ भवन की मैं,
घासीराम शरण पहुंचे गिरिराज धरण की मैं,
लग रही आस करूं ब्रजवास तलहटी गोवर्धन की मैं,
लग रही आस करूं ब्रजवास तलहटी गोवर्धन की मैं।