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Saturday, September 2, 2023

मेरे भोले बाबा भंग प्याले में ही मस्त हैं।

अनादि हैं अनंत महादेव शम्भु भूतनाथ
मेरे भोले बाबा भंग प्याले में ही मस्त हैं।
नहीं कोई राग-साज बंम-बंम कृपानाथ
ध्यान राम नाम की समाधि में ही रत हैं ।

रोली चंदन धूप दीप नहीं नैवेद्य विधि
कोमल सिंहासन न विराज औढरदानी हैं।
बेल भांग धतूर मंदार अकवन फूल
एक लोटा जल से प्रसन्न महादानी हैं ।

लेप न सुगंध अंग वसन है मृगछाल 
गले में भुजंग भाल चंद्रमा सोहात है।
जटाधारी गंगाधारी श्मसानवासी बाबा
संग भूत-प्रेत अकड़-बकड़ डरात है।

भस्म रमाये देह वास नहीं सुन्दर गेह
वाहन है नन्दी बाबा त्रिशूलधारी हैं ।
माखन न मलाई भोग विविध मिठाई कोई
सीधे-साधे भकतन दया त्रिपुरारी हैं।

श्रृंगी -भृंगी नाच रहे गंधर्व गात रहे
डमडम डमरू बजत दिन-रात है ।
वाम बैठी माता गौरी बीच कार्तिक गणपति
कर जोड़ी चरण पूजारी धन्य दास है ।

                  - गोपाल पाठक