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Thursday, August 24, 2023

प्रेम का तन से कैसा नाता

प्रेम का तन से कैसा नाता ! 
प्रेम की है ये कैसी भाषा !! 
प्रेम बिछोह है, प्रेम मिलन है ! 
प्रेम अगन है, प्रेम लगन है !! 
प्रेम सुरों की इक धड़कन है ! 
प्रेम सुरों की इक सरगम है !! 

प्रेम है पीड़ा, प्रेम जख्म है !
प्रेम के ही ये सारे रंग है !!  
प्रेम का तन से कैसा नाता ! 
प्रेम है मीरा, प्रेम है राधा !! 
प्रेम में डूबे बंसी वाले ! 
प्रेम है गोपी, प्रेम है ग्वाले !!

प्रेम के फन पे धरा बिराजै ! 
कालिया फन पे कान्हा नाचे !! 
माखन चोरी करके खाना ! 
नदी किनारे वस्त्र चुराना !! 
प्रेम का ही था वो नजराना ! 
प्रेम लुटाने आया कान्हा !! 

कान्हा का रूप अनोखा ! 
प्रेम देवकी, प्रेम यशोदा !! 
अश्रु नीर से चरण थे धोए ! 
 पाँव पकड़ कर कान्हा रोए !! 
दरिद्रता देखो प्रेम से हारी ! 
कृष्ण सुदामा की वो यारी !! 

खाकर प्रेम के तीन है दाने ! 
तीनों लोक लगे लुटाने !!
प्रेम की खींची ऐसी रेखा !  
प्रेम नहीं वो अबतक देखा !! 
तन नहीं मन से था नाता ! 
प्रेम की थी वो ऐसी भाषा !!