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Friday, October 7, 2022

मानव हो तो अपनी.. मानवता दिखाओ


देखो आज कैसा यह..लंपी वायरस आया है, 
जिसने गौ माता पर...ये कोहराम मचाया है।
जिस माता ने हम सबको...जीवन है दिया,
उस गौ माता के प्राणों पर संकट छाया है।
कहां गए वो..गौ हमारी माता है,चिल्लाते हैं,
कुछ स्वयंभू खुद को, गौ सेवक बुलाते हैं।
दूध इसी का पीते, गाय के नाम का खाते हैं,
खुद को अतियोग्य, धर्म सम्राट भी कहते हैं।
गाय आज पुकार रही, मां मां चिल्ला रही,
पीड़ा मे है शरीर इसका, अश्रु भी बहा रही।
अब कुछ गौं भक्तो को जैसे मारा लकुआ है,
ये कोई गौ भक्त नहीं, ये पाखंडी बबुआ हैं।
गाय में हैं सब देवता, गाय स्वयं भी देवी है,
मिलता है दूध जब तक, तब तक वो मेरी है।
मिले नहीं कुछ भी तो, उसे सड़क पे है छोड़ा,
जिसको मैया कहते हैं, उसी से है मुंह मोड़ा।
गौ भक्त या धर्म भक्त या हो कोई सरकार,
अपनी रोटी कैसे सेकें..यही है सरोकार।
अभी नहीं सोचा तो क्या करोगे पश्चाताप से,
कैसे बचोगे इस..गौ मैया के अभिशाप से।
पूजनीय है गौ माता, अब भी संभल जाओ,
मानव हो तो अपनी.....मानवता दिखाओ।
गौ रक्षा मे तन, मन, धन...सर्वस्व लगाओ,
मानव हो तो अपनी.....मानवता दिखाओ।
                          रचना - श्री विवेक आचार्य जी