टंगी हुई बड़ी सी तस्वीर
देखती रहती है
अपने बच्चों के बच्चों को बढे़ते
उनमें धर्म संस्कार पल्लवित पुष्पित होते
खुश होती है फिर
समय बिताता है
पीढ़ियां गुजरती है
उस तस्वीर पर धूल की
परत जमती जाती है
और उस धूल के पीछे
छिप जाते है धर्म संस्कार
फिर एक दिन तस्वीर की
धूल झाड़ने की कोशिश में
तस्वीर का धागा टूट जाता है
फिर वह तस्वीर कभी
दीवार पर नहीं टंगती ।
श्री ब्रज माधव जी ✍️