|| श्री जानकी वल्लभो विजयते ||
सभी भाई बहनों को योगिराज श्रीकृष्ण प्रागट्य महोत्सव की ह्रदय से शुभकामना !
आज घर - घर में प्रगटेगें योगिराज श्रीकृष्ण !
!! श्री कृष्ण स्तुति !!
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भये प्रगट कृपाला दीन दयाला यशुमति के हितकारी |
हर्षित महतारी रूप निहारी मोहन मदन मुरारी ||
कंसासुर जाना मन अनुमाना पूतना वेगि पठाई |
ते हर्षित धाई मन मुसुकाई गयी जहाँ यदुराई ||
ते जाय पठाये ह्रदय लगाए पयोदर मुख में दीना |
तब कृष्ण कन्हाई मन मुसुकाई प्राण तासु हर लीना ||
जब इन्द्र रिसाई मेघ पठाई वस कर ताहि मुरारी |
गऊअन हितकारी सुर मुनि प्यारी नख पर गिरवर धारी ||
कंसासुर मारेउ आनि अहकारेउ वत्सासुर संहारेउ |
बकासुर आयेउ बहुत डरायेउ ता कर बदन बिनासेउ ||
ब्रह्मा सुरराई आनि सुख पाई मग्न भयेउ तह आवें |
यह छन्द अनूपा है रस रूपा जो नर ताको गावें ||
तेहि सम नहीं कोई त्रिभुवन होई मन वांछित फल पाये ||
दोहा - नन्द यशोदा तप कियो, मोहन सो चित लाय |
देखन चाहत बाल सुख, रहयौ कछुक दिन जाय ||
जिम नक्षत्र मोहन भये, सो नक्षत्र पड़े आय |
चार बधाई रीति को, करत यशोदा माय ||
|| बोलो श्री कृष्णलला की जय ||
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