// श्री जानकीवल्लभो विजयते //
श्री हनुमान जयन्ती महोत्सव के उपलक्ष्य में
पं. लक्ष्मीकान्त शर्मा
( कौशिक )
श्रीधाम वृन्दाबन - भारत
"महावीर बिनवऊँ हनुमाना | राम जासु जस आप बखाना ||
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई | तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ||"
मर्यादा पुरषोत्तम श्रीराम जी ने तो उन पर पूर्ण कृपा की ही साथ ही जगत जननी शक्तिस्वरूपा श्रीसीता जी ने भी अपना आशीर्वाद दिया था :-
"अजर अमर गुण निध सुत होऊ | करही बहुत रघुनायक छोहू ||"
इसी के साथ वाल्यकाल में श्रीपवनपुत्र, मारुति नन्दन, अंजनी कुमार श्रीराम जी के लाड़ले श्रीहनुमन्त लाल जी को सभी देवी, देवताओं ने भी अपना हृदय से आशीर्वाद दिया | और "चालीसा" में तो यहाँ तक कह दिया | कि :-
"जय जय जय हनुमान गुसाई | कृपा करहु गुरुदेव की नाई ||"
और तो और, आप की कृपा यदि हो जाये तो :-
" दुर्गम काज जगत के जेते | सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ||"
अर्थात भगवान श्रीशंकर जी के अवतार - एकाएक रुद्र श्रीहनुमन्त लला जी प्राणियो की सभी बला को समाप्त कर देते हैं | आप चारों युगों में अपना प्रभाव रखते हैं | उनका संकल्प भी है :-
"दासोऽहं कौशलेन्द्रस्य, रामस्याक्लिष्ट कमर्ण: |
निहन्ताशत्रु सैन्यानां , हनुमान नाम नामत: ||
श्रीबाबा तुलसीदास जी ने भी कहा की : -
"प्रनबहूँ पवन कुमार खलवन पावक ग्यानधन |
जासु हृदय आगार वसहिं राम सर चाप धर ||"
अत: इस महामहोत्सव पर श्रीराम सेवक, अपार पराक्रमी भक्तों पर दयालु श्रीलाड़लेहनुमन्त लाल जी सभी को अपना कृपा प्रसाद प्रदान करते रहें यही कामना व प्रार्थना है :-
"और मनोरथ जो कोई लावे | सोई अमित जीवन फल पावै ||"
जय श्री राधे