// श्री जानकीवल्लभो विजयते //
सदैव याद रखें
पं. लक्ष्मीकान्त शर्मा (कौशिक)
श्री धाम वृन्दाबन-भारत
हर बात भूल जाओ, माता - पिता को कभी भूलना नहीं |
उपकार अनेकों हैं इनके, यह बात कभी भूलना नहीं ||
मठ - मन्दिर में शीश झुकाया, पूजा की तब ही है पाया |
उन्नति जीवन करे हमारा, शीश हमारे इन की छाया ||
अपने मुँह का कौर त्याग कर, हमको ही है पुष्ट किया |
रक्त अपने से सींच - सींच कर, अपने तन को नष्ट किया ||
भीगे कपड़ों में सो कर के, सूखे में हमें सुलाया है |
पर आज इन्हें चौथेपन में, क्यों फिर हमने भुलाया है ||
हर वस्तु मिलेगी पैसे से, पर प्यार न इनका पायेंगे |
सेवा इनकी बस करके हम, भव सागर से तर जायेंगे |
निज सन्तान से सेवा चाहेंगर, तो बन सन्तान करें सेवा |
गुरु, सन्त, देवता कहें यही, दोनों हाथों में है मेवा ||
जैसी करनी वैसी भरनी, बात न्याय की भूलना नहीं |
हुए राम, कृष्ण और श्रवण कुमार, यह बात कभी भूलना नहीं ||
है प्रभु को पाने की इच्छा, हम सबको इस जीवन में |
तो तन - मन - धन से मात - पिता की, सेवा करें इस जीवन में ||
जय श्री राधे