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Saturday, March 14, 2009

एक विचार

// श्री जानकीवल्लभो विजयते //

एक विचार

कु. नूपुर गौतम
श्री धाम वृन्दाबन - भारत
अपनी वर्त्तमान अवस्था के जिम्मेदार हम ही हैं और जो कुछ हम होना चाहें, उसकी शक्ति भी हम में है | यदि हमारी वर्त्तमान अवस्था हमारे ही पूर्व कर्मों का फल है तो यह निश्चित है कि जो कुछ हम भविष्य में होना चाहते हैं वह हमारे वर्त्तमान कार्यों द्वारा ही निर्धारित किया जा सकता है | अतएव हमें यह जान लेना आवश्यक है कि कर्म किस प्रकार किये जायें |
जय श्री राधे