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Friday, December 19, 2008

हमारी मातृ शक्ति

// श्री जानकीवल्लभो विजयते // 
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि 
धियो यो न: प्रचोदयात् 
या देवी सर्व भूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता /
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: // 
आज के युग की भयानक अन्ध विश्वास
"कन्या भ्रूण हत्या"
पं. लक्ष्मीकान्त शर्मा (कौशिक) 
श्री धाम वृन्दाबन-भारत
एक कहावत है ! कि किसी भी सफल व्यक्ति कि सफलता के पीछे किसी नारी ( स्त्री ) का हाथ होता है | हमारे देश में ही नहीं विदेशों में भी इसके प्रमाण मिलते हैं | साथ ही यह भी सत्य है कि किसी व्यक्ति, समाज व राष्ट्र का उत्थान ( विकास ) व पतन भी नारी के द्वारा होता है | आज हमारी मातृ शक्ति अपने स्वरूप, संस्कृति, सम्मान और कर्तव्य को भूल गयी हैं | इस समय आवश्यकता इस बात की अधिक है | कि मातृ शक्ति को अपने स्वरूप का भान करना होगा | और यह भी स्मरण करना होगा कि धराधाम पर परमपिता परमेश्वर के द्वारा सृष्टि के कार्य में सहयोगार्थ व संस्कृति कि रक्षार्थ ( जन्म दिया ) भेजा | आज पाश्चात्य चकाचोंध में ( चैनलों कि भीड़ ) अपने कर्तव्य व दायित्व को पूर्ण निष्ठा व सत्यता से निभाना होगा |
अत: हम सभी का पूर्ण कर्तव्य व दायित्व है कि परमपुरूष कि प्रकृति ( सृष्टि ) में अपना पूर्ण मनो योग से सहयोग करें | तभी तो उसके प्रति कृतज्ञता प्रगट कर सकेंगे |
जय श्री राधे राधे