श्री जानकीवल्लभो विजयते
"कार्तिक शुक्ल अष्टमी (गोपाष्टमी) के उपलक्ष्य में"
श्री गाय माता वन्दना
गौ माता के दर्शं हुए गोधूली में,
निज संताप नष्ट हुए गोधूली में.
नये गीत के बिम्ब दिखे गोधूली में,
सात रंग के पत्र दिखे गोधूली में.
लाखों में भी एक दिखे गोधूली में,
जीवन के कई स्वप्न दिखे गोधूली में.
सारे देवी - देव दिखे गोधूली में,
ग्वालों के संग कृष्ण दिखे गोधूली में.
वैतरणी भी पार दिखे गोधूली में,
जीवन का एक सार दिखे गोधूली में.
गौ माता के दर्शं हुए गोधूली में,
निज संताप नष्ट हुए गोधूली में.
रचनाकार
श्री पं. लक्ष्मीकान्त शर्मा जी
श्री वृन्दाबन धाम