महामंत्र > हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे|हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे||

Saturday, July 12, 2025

सत्संग बड़ा है या तप

एक बार वशिष्ठ जी और विश्वामित्र जी में बहस छिड़ गयी की सत्संग की महिमा बड़ी है या तप की महिमा वशिष्ठ जी का कहना था सत्संग की महिमा बड़ी है, तथा विश्वामित्र जी का कहना था कि तप का महात्म बड़ा है।जब फैसला न हो सका तो दोनों विष्णु भगवान के पास पहुंचे और अपनी अपनी बात कही। विष्णु भगवान ने सोचा की दोनों ही महर्षि है और दोनों ही अपनी-अपनी बात पर अड़े है।उन्होंने कहा कि शंकर भगवान ही इसका सही उत्तर दे सकते है अतः दोनों शंकर भगवान के पास पहुंचे।शंकर जी के सामने भी यही समस्या आई। उन्होंने कहा कि मेरे मस्तक पर इस समय जटाजूट का भार है अतः मैं सही निर्णय नहीं कर पाउँगा। आप लोग शेषनाग के पास जाय, वो ही सही फैसला कर सकेंगे।
दोनों महर्षि शेषनाग के पास पहुंचे और अपनी बात उनसे कही। शेषनाग जी ने कहा कि ऋषिवर ! मेरे सिर पर धरती का भार है। आप थोड़ी देर के लिए मेरे सिर से धरती को हटा दे तो में फैसला कर दू। विश्वामित्र ने कहा कि धरती माता तुम शेषनाग जी के सर से थोड़ी देर के लिए अलग हो जाओ, मैं अपने तप का चौथाई फल आपको देता हूँ । पृथ्वी में कोई हलचल नहीं हुई तो फिर उन्होंने कहा कि तप का आधा फल समर्पित करता हूँ । इतना कहने पर भी धरती हिली तक नहीं। अंत में उन्होंने कहा कि में अपने सम्पूर्ण जीवन के तप का फल तुम्हे देता हूँ। धरती थोड़ी हिली, हलचल हुई फिर स्थिर हो गयी। अब वशिष्ठ जी की बारी आई उन्होंने कहा कि धरती माता अपने सत्संग का निमिषमात्र फल देता हूँ, तुम शेषनाग के मस्तक से हट जाओ धरती हिली ,गर्जन हुआ और वो सर से उतरकर अलग खड़ी हो गई। शेषनाग जी ने ऋषियों से कहा कि आप लोग स्वयं ही फेसला करले कि सत्संग बड़ा है या तप |