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Friday, January 31, 2025

तलाक

कल रात एक ऐसा वाकया हुआ जिसने मेरी *ज़िन्दगी के कई पहलुओं को छू लिया करीब 7 बजे होंगे, शाम को मोबाइल बजा ।
उठाया तो उधर से रोने की आवाज
मैंने शांत कराया और पूछा कि भाभीजी आखिर हुआ क्या
उधर से आवाज़ आई
आप कहाँ हैं और कितनी देर में आ सकते हैं
मैंने कहा:- "आप परेशानी बताइये और "भाई साहब कहाँ हैं माताजी किधर हैं आखिर हुआ क्या लेकिन उधर से केवल एक रट कि आप आ जाइए", मैंने आश्वाशन दिया कि कम से कम एक घंटा पहुंचने में लगेगा जैसे तैसे पूरी घबड़ाहट में पहुँचा देखा तो भाई साहब हमारे मित्र जो जज हैं सामने बैठे हुए हैं
 भाभीजी रोना चीखना कर रही हैं 12 साल का बेटा भी परेशान है; 9 साल की बेटी भी कुछ नहीं कह पा रही है।
मैंने भाई साहब से पूछा कि आखिर क्या बात है
भाई साहब कोई जवाब नहीं दे रहे थे
फिर भाभी जी ने कहा ये देखिये तलाक के पेपर, ये कोर्ट से तैयार करा के लाये हैं मुझे तलाक देना चाहते हैं,
मैंने पूछा - ये कैसे हो सकता है इतनी अच्छी फैमिली है 2 बच्चे हैं सब कुछ सेटल्ड है प्रथम दृष्टि में मुझे लगा ये मजाक है
लेकिन मैंने बच्चों से पूछा दादी किधर है
बच्चों ने बताया पापा ने उन्हें 3 दिन पहले नोएडा के वृद्धाश्रम में शिफ्ट कर दिया है
मैंने घर के नौकर से कहा।
मुझे और भाई साहब को चाय पिलाओ
कुछ देर में चाय आई. भाई साहब को बहुत कोशिशें कीं चाय पिलाने की
लेकिन उन्होंने नहीं पी और कुछ ही देर में वो एक मासूम बच्चे की तरह फूटफूट कर रोने लगे "बोले मैंने 3 दिन से कुछ भी नहीं खाया है मैं अपनी 61 साल की माँ को कुछ लोगों के हवाले करके आया हूँ
पिछले साल से मेरे घर में उनके लिए इतनी मुसीबतें हो गईं कि पत्नी (भाभीजी) ने कसम खा लीकि मैं माँ जी का ध्यान नहीं रख सकती ना तो ये उनसे बात करती थी
और ना ही मेरे बच्चे बात करते थेरोज़ मेरे कोर्ट से आने के बाद माँ खूब रोती थी नौकर तक भी अपनी मनमानी से व्यवहार करते थे
माँ ने 10 दिन पहले बोल दिया.. बेटा तू मुझे ओल्ड ऐज होम में शिफ्ट कर दे.
मैंने बहुत कोशिशें कीं पूरी फैमिली को समझाने की, लेकिन किसी ने माँ से सीधे मुँह बात नहीं की
जब मैं 2 साल का था तब पापा की मृत्यु हो गई थी दूसरों के घरों में काम करके मुझे पढ़ाया मुझे इस काबिल बनाया कि आज मैं जज हूँ लोग बताते हैं माँ कभी दूसरों के घरों में काम करते वक़्त भी मुझे अकेला नहीं छोड़ती थीं
उस माँ को मैं ओल्ड ऐज होम में शिफ्ट करके आया हूँ पिछले 3 दिनों से
 मैं अपनी माँ के एक-एक दुःख को याद करके तड़प रहा हूँ,जो उसने केवल मेरे लिए उठाये।
मुझे आज भी याद है जब मैं 10th की परीक्षा में अपीयर होने वाला था माँ मेरे साथ रात रात भर बैठी रहतीं 
एक बार माँ को बहुत फीवर हुआ मैं तभी स्कूल से आया था उसका शरीर गर्म था, तप रहा था मैंने कहा माँ तुझे फीवर है हँसते हुए बोली अभी खाना बना रही थी इसलिए गर्म है
लोगों से उधार माँग कर मुझे दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी तक पढ़ाया मुझे ट्यूशन तक नहीं पढ़ाने देती थीं कि कहीं मेरा टाइम ख़राब ना हो जाए
       कहते-कहते रोने लगे और बोले जब ऐसी माँ के हम नहीं हो सके तो हम अपने बीबी और बच्चों के क्या होंगे।
हम जिनके शरीर के टुकड़े हैं आज हम उनको ऐसे लोगों के हवाले कर आये जो उनकी आदत, उनकी बीमारी, उनके बारे में कुछ भी नहीं जानते
जब मैं ऐसी माँ के लिए कुछ नहीं कर सकता तो मैं किसी और के लिए भला क्या कर सकता हूँ।
आज़ादी अगर इतनी प्यारी है और माँ इतनी बोझ लग रही हैं, तो मैं पूरी आज़ादी देना चाहता हूँ।
जब मैं बिना बाप के पल गया तो ये बच्चे भी पल जाएंगे इसीलिए मैं तलाक देना चाहता हूँ।
सारी प्रॉपर्टी इन लोगों के हवाले करके उस ओल्ड ऐज होम में रहूँगा कम से कम मैं माँ के साथ रह तो सकता हूँ। 
और अगर इतना सब कुछ कर के माँ आश्रम में रहने के लिए मजबूर है तो एक दिन मुझे भी आखिर जाना ही पड़ेगा।
माँ के साथ रहते-रहते आदत भी हो जायेगी माँ की तरह तकलीफ तो नहीं होगी.
जितना बोलते उससे भी ज्यादा रो रहे थे बातें करते करते रात के 12:30 हो गए। 
मैंने भाभीजी के चेहरे को देखा
उनके भाव भी प्रायश्चित्त और ग्लानि से भरे हुए थे मैंने ड्राईवर से कहा अभी हम लोग नोएडा जाएंगे। 
भाभीजी और बच्चे हम सारे लोग नोएडा पहुँचे। बहुत ज़्यादा रिक्वेस्ट करने पर गेट खुला भाई साहब ने उस *गेटकीपर के पैर पकड़ लिए, बोले मेरी माँ है, मैं उसको लेने आया हूँ,
चौकीदार ने कहा क्या करते हो साहब,
भाई साहब ने कहा मैं जज हूँ,
उस चौकीदार ने कहा:-
जहाँ सारे सबूत सामने हैं तब तो आप अपनी माँ के साथ न्याय नहीं कर पाये,औरों के साथ क्या न्याय करते होंगे साहब।
इतना कहकर हम लोगों को वहीं रोककर वह अन्दर चला गया.
अन्दर से एक महिला आई जो वार्डन थी. 
उसने *बड़े कातर शब्दों में कहा
2 बजे रात को आप लोग ले जाके कहीं मार दें, तो मैं अपने ईश्वर को क्या जबाब दूंगी।
मैंने सिस्टर से कहा आप विश्वास करिये ये लोग बहुत बड़े पश्चाताप में जी रहे हैं
अंत में किसी तरह उनके कमरे में ले गईं कमरे में जो दृश्य था, उसको कहने की स्थिति में मैं नहीं हूँ।
केवल एक फ़ोटो जिसमें पूरी फैमिली है और वो भी माँ जी के बगल में, जैसे किसी बच्चे को सुला रखा है
मुझे देखीं तो उनको लगा कि बात न खुल जाए लेकिन जब मैंने कहा हम लोग आप को लेने आये हैं, तो पूरी फैमिली एक दूसरे को पकड़ कर रोने लगी,आसपास के कमरों में और भी बुजुर्ग थे सब लोग जाग कर बाहर तक ही आ गए
उनकी भी आँखें नम थीं।
कुछ समय के बाद चलने की तैयारी हुई पूरे आश्रम के लोग बाहर तक आये. किसी तरह हम लोग आश्रम के लोगों को छोड़ पाये सब लोग इस आशा से देख रहे थे कि शायद उनको भी कोई लेने आए, रास्ते भर बच्चे और भाभी जी तो शान्त रहे।
लेकिन भाई साहब और माताजी एक दूसरे की भावनाओं को अपने पुराने रिश्ते पर बिठा रहे थे घर आते-आते करीब 3:45 हो गया
 भाभीजी भी अपनी ख़ुशी की चाबी कहाँ है; ये समझ गई थी
मैं भी चल दिया लेकिन रास्ते भर वो सारी बातें और दृश्य घूमते रहे।
माँ केवल माँ है
उसको मरने से पहले ना मारें
माँ हमारी ताकत है उसे बेसहारा न होने दें , अगर वह कमज़ोर हो गई तो हमारी संस्कृति की रीढ़ कमज़ोर हो जाएगी  बिना रीढ़ का समाज कैसा होता है किसी से छुपा नहीं।
अगर आपकी परिचित परिवार में ऐसी कोई समस्या हो तो उसको ये जरूर पढ़ायें, बात को प्रभावी ढंग से समझायें , कुछ भी करें लेकिन हमारी जननी को बेसहारा बेघर न होने दें,अगर माँ की आँख से आँसू गिर गए तो ये क़र्ज़ कई जन्मों तक रहेगा यकीन मानना सब होगा तुम्हारे पास पर सुकून नहीं होगा सुकून सिर्फ *माँ के आँचल में होता है उस आँचल को बिखरने मत देना।