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Tuesday, January 28, 2025

बिहारी जी की सुंदर लीला

आप अभी जानते हैं कि जैसे ही आप बिहारी जी की गली में पहुंचते हैं तो दर्शन के लिए बहुत लंबी लाइन होती है और पिछले 1वर्ष से तो यह लगातार चल ही रहा है कहने सुनने में बहुत ही साधारण बात लगेगी परन्तु जब कोई भक्ति प्रेम रस में डूबकर देखे तो ही वह भाव मे पहुंच पाएगा कुछ मित्रों के साथ एक बार एक शराब पीने वाला लड़का बिहारी जी की कृपा से बृन्दावन पहुंचा ,क्योंकि बृन्दावन तो वो ही पहुच सकता है जिसे किशोरी जी कृपा हो जाए उसने बिहारी जी की बारे में बहुत सुना था कि वो नीली नीली आँखों वाला मुरली मनोहर जिस पर एक बार जिस पर अपनी दृष्टि डाल दे ,फिर वो किसी काम का नही रहता और बार बार ब्रज की गलियो में घूमता रहता है अब जैसे ही वो पहुंचा तो लम्बी लाइन देखी तो पहले सोचा कि भीड़ बहुत है वापिस चलते हैं कुछ और देखते हैं ,इतने में ही एक पंडे महोदय आये ,कि हम दर्शन करा लावें ,आप हमें 250/- रुपया दे देना ,अब जैसे हि रूपए की बात सुनी ,यँहा तो सरेआम लूटमार हो रही है ,ये क्या बात हुई ,तब पंडे महोदय बोले ,लाला गरम हेबे की कोऊ बात न है ,तू 150 /- दे दीजियो उसके मन मे थोड़ा आराम आया और दर्शन के लिए सभी मित्रों सहित अन्दर तो पहुँच गया, परन्तु मन मे रुपयों को लेकर पीड़ा चल रही थी,ये सारी लीला एक प्रेमी देख रहा था और उससे रहा न गया और वह बोला कि बिहारी जी ने चाहा तो शायद तुम्हारे ये रुपये वसूल हो जाएंगे उस व्यक्ति की बात सुनकर वो लड़का थोड़ा सा पहले क्रोध में आया और फिर शांत हो गया ,इतने में ही वो सभी लड़के बिहारी जी के सामने पहुंच गए,अब यँहा से शुरू होती है बिहारी जी की सुंदर लीला ,उसके सभी मित्र एक झांकी लेकर मन्दिर से बाहर आ गये और वह अंदर ही रह गया ,उस पर बिहारी जी ने ऐसी दृष्टि डाली कि वह भाव विरवल होकर आनन्द से भर गया और उसके नेत्रों से अश्रु धारा प्रवाहित होने लगी व इतने में ही गोसांई जी ने उसके गले मे बिहारी जी की प्रशादी स्वरूप माला पहना दी।प्रसन्न चित्त होकर मन्दिर से बाहर आया तो वही व्यक्ति फिर मिला तो अबकी बार यह लड़का आगे से उस प्रेमी से बोला कि आपने सत्य ही कहा था कि आज तेरे रुपये वसूल होंगे ,मैने बहुत सुना था यँहा के बारे में और आज देख भी लिया। उस व्यक्ति ने पूछा कि क्या सुना था और आज क्या देख लिया ,वह बोला मैने सुना था कि नैना बिहारी जी के रस के प्याले और जो एक बार इन नैनों से पीले फिर उसे और कोई नशा नही चढ़ता ,फिर वह बार बार यंही आता है और मै आज इस बात को मानता हूं क्योंकि में आज के बाद जब भी पिऊंगा तब हरि नाम की ही पिऊंगा और कभी शराब नही पिऊंगा और इतना कहकर रोते रोते उसने पंडे महोदय को 250/-रुपये ही दिए, कि भईया आपने रुपये गलत नही मांगे थे।आज भी हमारे बिहारी जी नित्त लीलाएँ होती हैं परन्तु कोई अनुभव करने वाला चाहिए ,ये चित्तचोर मुरलीधर काली कमली वाला एक बार जिसे अपनी लीला का दर्शन करा दे ,फिर उस पर माया का प्रभाव नही रहता ,फिर उसे बृन्दावन की कुन्ज गलिन में सिर्फ सुगन्ध ही आती है।