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Friday, January 24, 2025

प्रतिध्वनि

सुनो यार आज सर्दी बहुत है मैं समझता हूँ शाम को पापा के लिए कुछ गर्म कपडे ले आऊं  पति ने पत्नी से कहा 
देख लो जी आपने अभी तो बच्चे के लिए भी कपडे खरीदने हैं और मेरा भी तो मैचिंग शाल दिलवाना है हमारे लिए तो आप हर बार कह देते हो कि अभी हाथ तंग है और पापा के लिए पैसे आ जाते हैं तुम्हारे पास पत्नी ने कहा।
नहीं ऐसी बात नहीं है तुम समझा करो मुझे आज भी याद है कि पापा मेरी जिद पर मेरे लिए कपडे दिलवाते थे और अपने लिए कुछ नहीं खरीदते थे। आज तक पापा ने कभी मुझसे कुछ माँगा नही।
मैं समझता हूँ उनके लिए शाल बहुत जरुरी है, अगर ठण्ड लग गयी तो बहुत मुश्किल होगी।ठीक है जी, जैसे आप तो बाप हो ही नहीं बच्चों के जो मन आये सो करो।भरत हैरान था कि क्या करे आजकल शीतलहर का प्रकोप जोरों पर था, कई लोग इसकी चपेट में आ चुके थे। वह यह भी खूब जानता था कि सर्दियां पार हो गयी तो अस्सी साल के पापा का एक साल और बढ़ जाएगा जीवन का।
मगर बीबी की बातों ने मन खट्टा कर दिया था। शाम को आफिस से निकलते हुए देर भी हो गयी सो शाल नहीं खरीद सका था।
सुबह–सुबह शोर मचा हुआ था कोई रिक्शेवाला बुजुर्ग रिक्शे पर ठण्ड में सोते हुए ही ठिठुर कर मर गया था। भरत के पैर अचानक लड़खड़ा गए। वह सीधे बाजार की ओर चल पड़ा शाल खरीदने।
उसे लग रहा था मानों यह शोर उसके ही आँगन में उठ रहा था और पिता अकड़े हुए पड़े हों। फटाफट उसने शाल पसंद किया और घर की ओर चल पड़ा। पिता को अपने हाथों से शाल ओढाया और अपना सर गोद में रख दिया उनकी। दो झुर्रियों भरे हाथ सर को सहला रहे थे।
बेटा यह लो पांच हजार रुपये है बहू और बच्चों को आज ही गर्म कपडे दिलवा दो।
मुझ बूढ़े से इतना प्रेम ठीक नहीं 
अवाक बहू अपने शब्दों की ऐसी प्रतिध्वनी सुन रही थी जो मन में उसे चीत्कारकर कोस रहे थे। भरी हुई आँखों से सिर स्वतः नत हो गया था पापा के पैरो पर।