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Thursday, December 26, 2024

उम्र तो बस इक नंबर है

बात 2010 की है जब मैं हरियाणा के एक शहर से उत्तर प्रदेश के एक शहर में नौकरी करने रोज़ 55 कि मी. का सफर पैसेंजर ट्रेन से तय करके जाती थी।पर सर्दियों में धुंध की वजह से ट्रेन अक्सर देरी से आती थी। ऐसे वक्त में मैं लम्बी दूरी की एक्सप्रैस ट्रेन में चढ़ जाती थी जिसमें एक की जगह बस आधे घंटे का समय लगता था।
पापा रेलवे में थे, उनका फर्स्ट क्लास का पास हमेशा मेरे पर्स में रहता था इसलिए टी. सी भी मुझे कुछ नहीं कहता था।
एक दिन ऐसे ही मैं एक एक्सप्रेस ट्रेन के स्लीपर कोच में चढ़ गई थी,जाहिर है वहां सबकी सीट बुक थी तो सीट तो मिलेगी नहीं। मैं फिर भी इधर उधर देख ही रही थी कि तभी एक 70-75 वर्षीय अंकल जी ने कहा कि,”बेटा इधर बैठ जाओ।” उनके दाईं तरफ एक लड़की बैठी हुई थी मैं बाईं तरफ बैठ गई।
सामने की सीट पर एक अधेड़ उम्र के दंपति बैठे थे और उनके साथ ही एक नौजवान लड़का बैठा था शायद‌ वो उन्हीं का बेटा था या उनसे अलग था कुछ समझ नहीं आया मुझे। 
खैर ट्रेन अपनी रफ़्तार पकड़ चुकी थी और मेरे साथ बैठे अंकल जी निंद्रावस्था में जाने लगे। थोड़ी ही देर में वो कभी मेरी तरफ तो कभी दूसरी तरफ बैठी लड़की के ऊपर गिरने लगे। मैंने सोचा उम्र ए असर है शायद इसीलिए मैंने भी ज्यादा नहीं कुछ सोचा।पर जब ये सिलसिला लगातार जारी रहा तो मुझे समझ में आ गया कि जानबूझकर किया जा रहा है। कहते हैं भगवान ने हर स्त्री को स्पर्श पहचानने की शक्ति दी है। बस इतना ही था कि वो फिर से मेरे ऊपर गिरने लगे। मैं वहां से उठने की अभी सोच ही रही थी कि तभी सामने बैठा नौजवान उठ खड़ा हुआ और दरवाजे के पास खड़ा हो गया। मैं उसकी सीट पर बैठने की सोच रही थी पर ये भी डर था कि कहीं वो मुझसे लड़ने ना लग जाए कि ये उसकी सीट है।
मैंने सोचा चलो पूछ कर बैठ जाती हूं और जैसे ही उस नौजवान की तरफ देखा तो मेरे पूछने से पहले ही उसने इशारे से सर हिला दिया कि मेरी सीट पर बैठ जाओ। कसम से मन मस्तिष्क दिल सब कृतज्ञता से भर गया उसके लिए। सोचा था ट्रेन से उतरते वक्त उसे धन्यवाद जरूर बोल कर जाऊंगी।
वो दूसरी लड़की भी थोड़ा दूर हट कर बैठ गई थी बीच में अपना पर्स रख लिया था और मेरी ओर देख कर मुस्कुरा रही थी।अब अंकल जी को बिल्कुल नींद नहीं आ रही थी और वो खिड़की से बाहर देख रहे थे।
मेरा स्टेशन आ गया था और उतरते हुए उस नौजवान को मेरी नजरें ढूंढ रही थी आभार व्यक्त करने के लिए,पर कुछ लोग सच में किसी के धन्यवाद के मोहताज नहीं होते।
दिल से आज भी दुआएं निकलतीं हैं उस नौजवान के लिए।कितने अच्छे संस्कार दिए थे एक मां बाप ने अपने बेटे को।
वाकई उम्र तो बस इक संख्या है किसी को परेशान करने के लिए या किसी की सहायता करने के लिए।