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Wednesday, October 30, 2024

अबकी बार दीवाली मे

राष्ट्रहित का गला घोंटकर,छेद न करना थाली में।
मिट्टी वाले दीये जलाना,अबकी बार दीवाली में।
देश के धन को देश में रखना,नहीं बहाना नाली में।
मिट्टी वाले दीये जलाना,अबकी बार दीवाली में‌।
बने जो अपनी मिट्टी से,वो दिये बिकें बाज़ारों में।
छुपी है वैज्ञानिकता अपने,सभी तीज़-त्यौहारों में।
चायनिज़ झालर से आकर्षित,कीट-पतंगे आते हैं।
जबकि दीये में जलकर, बरसाती कीड़े मर जाते हैं।
कार्तिक दीप-दान से बदले, पितृ-दोष खुशहाली में।
मिट्टी वाले दीये जलाना,अबकी बार दीवाली में।
कार्तिक की अमावस वाली,रात न अबकी काली हो।
दीये बनाने वालों की भी, खुशियों भरी दीवाली हो।
अपने देश का पैसा जाये,अपने भाई की झोली में।
गया जो दुश्मन देश में पैसा,लगेगा रायफ़ल गोली में।
देश की सीमा रहे सुरक्षित, चुक न हो रखवाली में
मिट्टी वाले दीये जलाना,अबकी बार दीवाली में।