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Sunday, September 29, 2024

भक्त की रक्षा भगवान करते है


एक गांव में कृष्णा बाई नाम की बुढ़िया रहती थी
वह भगवान श्रीकृष्ण की परमभक्त थी।
वह एक झोपड़ी में रहती थी।
कृष्णा बाई का वास्तविक नाम सुखिया था
पर कृष्ण भक्ति के कारण इनका नाम गांव वालों ने कृष्णा बाई रख दिया।
घर घर में झाड़ू पोछा बर्तन और खाना बनाना ही इनका काम था।
कृष्णा बाई रोज फूलों का माला बनाकर दोनों समय श्री कृष्ण जी को पहनाती थी और घण्टों कान्हा से बात करती थी। गांव के लोग यहीं सोचते थे कि बुढ़िया पागल है।
एक रात श्री कृष्ण जी ने अपनी भक्त कृष्णा बाई से यह कहा कि कल बहुत बड़ा भूचाल आने वाला है तुम यह गांव छोड़ कर दूसरे गांव चली जाओ।
अब क्या था मालिक का आदेश था कृष्णा बाई ने अपना सामान इकट्ठा करना शुरू किया और गांव वालों को बताया कि कल सपने में कान्हा आए थे और कहे कि बहुत प्रलय होगा पास के गाव में चली जा।
लोग कहाँ उस बूढ़ी पागल का बात मानने वाले जो सुनता वहीं जोर जोर ठहाके लगाता।
इतने में बाई ने एक बैलगाड़ी मंगाई और अपने कान्हा की मूर्ति ली और सामान की गठरी बांध कर गाड़ी में बैठ गई। और लोग उसकी मूर्खता पर हंसते रहे।
बाई जाने लगी बिल्कुल अपने गांव की सीमा पार कर अगले गांव में प्रवेश करने ही वाली थी कि उसे कृष्ण की आवाज आई - अरे पगली जा अपनी झोपड़ी में से वह सुई ले आ जिससे तू माला बनाकर मुझे पहनाती है। यह सुनकर बाई बेचैन हो गई तड़प गई कि मुझसे भारी भूल कैसे हो गई अब मैं कान्हा का माला कैसे बनाऊंगी?
उसने गाड़ी वाले को वहाँ रोका और बदहवास अपने झोपड़ी की तरफ भागी।
गांव वाले उसके पागलपन को देखते और खूब मजाक उडाते।
बाई ने झोपड़ी में तिनकों में फंसे सुई को निकाला और फिर पागलो की तरह दौडते हुए गाड़ी के पास आई। गाड़ी वाले ने कहा कि माई तू क्यों परेशान हैं कुछ नही होना। बाई ने कहा अच्छा चल अब अपने गांव की सीमा पार कर। गाड़ी वाले ने ठीक ऐसे ही किया।
पर यह क्या? जैसे ही सीमा पार हुई पूरा गांव ही धरती में समा गया। सब कुछ जलमग्न हो गया।
गाड़ी वाला भी अटूट कृष्ण भक्त था। येन केन प्रकरेण भगवान ने उसकी भी रक्षा करने में कोई विलम्ब नहीं किया।
प्रभु जब अपने भक्त की मात्र एक सुई तक की इतनी चिंता करते हैं तो वह भक्त की रक्षा के लिए कितना चिंतित होते होंगे।
जब तक उस भक्त की एक सुई उस गांव में थी पूरा गांव बचा था।
इसीलिए कहा जाता है कि
भरी बदरिया पाप की बरसन लगे अंगार।
संत न होते जगत में जल जाता संसार॥