महामंत्र > हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे|हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे||

Friday, August 18, 2023

दुनिया थोड़ी सुंदर लगती रहे

पिता कभी नहीं कहते 
मेरे पास पैसे नहीं हैं
माँ ने कभी नहीं कहा
मेरी तबियत खराब है 
मैंने कभी नहीं कहा
आज खाने में नमक कम है
शायद सच ना बोलने से 
दुनिया थोड़ी सुंदर बनी रहती है

कविता कभी किसी से नहीं कहती
पृथ्वी वासनाओं का सुंदर विस्तार है
मन कभी अपने गुण नहीं बताता
आत्मा कभी नहीं कहती 
मोक्ष मन को मिली भिक्षा है
उसकी उपलब्धि नहीं

फूल कभी नहीं बताते 
उनके चेहरे पर खिला रंग 
उनका लहू है
जो तितलियों के काटने से बहा है 

किसान कभी नहीं बताते 
खेती करना उनकी मज़बूरी है
और किसी दिन मज़बूर होकर
छोड़ देंगे खेती

सुंदर इमारतें कभी नहीं बताती 
उन्होंने पीया है मजदूरों का गाया गीत 
और कोई मोल नहीं दिया उसका
पानी कभी नहीं बताता 
उसकी नमी 
पहाड़ों के हृदय से लिया गया उधार है 

सड़कें कभी नहीं बताती
इन पर चलकर बस हम यात्रा नहीं करते
पृथ्वी भी पहुँचती रहती है कहीं 
हमारे साथ चल कर
बहुत दूर आ गई है पृथ्वी
अब लौटना चाहती है
मगर लौट नहीं सकती 
लोग इसे सभ्यता का विकास कहते हैं 

हमारी देह 
अनंत यात्राओं का वृतांत है
हमारी आंखें कुआं हैं
जो हमारे पूर्वजों ने 
पानी की खोज में खोदा था
हमारे आंसू
समुद्र मंथन से निकला अमृत है
मगर हमारे पूर्वज अब तक अतृप्त

वो तमाम पत्थर 
जिन्हें हम ठोकर मार कर आगे बढ़ जाते हैं
उनके भीतर से निकला है अग्नि का सूत्र
वो नहीं बताती अपना दुःख 
कि दुनिया में कितनी आग है
कितनी कम है रौशनी मगर

क्या तुम्हारे आंचल ने तुम्हें कभी बताया है
कितने युद्ध लड़े गए
कितने लोग शहीद हुए
बांटे गए कितने देश
कपास की सियासत में
हां ! तुम्हारा आंचल
एक युद्ध का विराम चिन्ह है
मैं इसे ओढ़ कर 
एक अनंत निद्रा में लीन हो जाऊंगा

मृत्यु कोई उपलब्धि नहीं है
ना कोई प्राप्ति
ना कोई संदेश है ना उपदेश
कोई विशिष्टता नहींइसमें 
मृत्यु एक सूक्ति है
जिसे हम जीते जी न सुनते हैं ना पढ़ते हैं
इसीलिए कि दुनिया थोड़ी सुंदर लगती रहे 

- निरंजन कुमार