सूर्य जब भी पश्चिम में गया है अस्त ही हुआ है
हमारे पास तो पहले से ही अमृत से भरे कलश थे...!
फिर हम वह अमृत फेंक कर उनमें कीचड़ भरने का काम क्यों कर रहे हैं...?
जरा इन पर विचार करें...
यदि *मातृनवमी* थी,
तो Mother’s day क्यों लाया गया?
यदि *कौमुदी महोत्सव* था,
तो Valentine day क्यों लाया गया?
यदि *गुरुपूर्णिमा* थी,
तो Teacher’s day क्यों लाया गया?
यदि *धन्वन्तरि जयन्ती* थी,
तो Doctor’s day क्यों लाया गया?
यदि *विश्वकर्मा जयंती* थी,
तो Technology day क्यों लाया गया?
यदि *सन्तान सप्तमी* थी,
तो Children’s day क्यों लाया गया?
यदि *नवरात्रि* और *कन्या भोज* था,
तो Daughter’s day क्यों लाया गया?
*रक्षाबंधन* है तो Sister’s day क्यों ?
*भाईदूज* है तो Brother’s day क्यों ?
*आंवला नवमी, तुलसी विवाह* मनाने वाले हिंदुओं को Environment day की क्या आवश्यकता ?
केवल इतना ही नहीं, *नारद जयन्ती* ब्रह्माण्डीय पत्रकारिता दिवस है...
*पितृपक्ष* ७ पीढ़ियों तक के पूर्वजों का पितृपर्व है तो father's day kyu ?
*नवरात्रि* को स्त्री के नौ रूपों के दिवस के रूप में मनाते हैं तो Women's day क्यों?
सनातन पर्वों को गर्व से मनाईये...
पश्चिमी अंधानुकरण मत कीजिए