सर्वे भवन्तु सुखिन:सर्वे सन्तु निरामया,सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मां कश्चिद दु:खभाग भवेत्| विद्या का अन्तिम लक्ष्य चरित्र निर्माण होना चाहिए | "श्री महात्मा गाँधी जी"
Wednesday, May 3, 2023
सपने में अपनी मौत को देखा
सपने में अपनी मौत को देखा, कपड़े में लिपटे अपने शरीर को जलते देखा, खड़े थे लोग हाथ बांधे एक कतार में, कुछ थे परेशान कुछ उदास, पर कुछ छुपा रहे थे अपनी मुस्कान,दूर खड़ा देख रहा था मैं ये सारा मंज़र, तभी किसी ने हाथ बढ़ा कर थामा मेरा हाथ, और जब देखा चेहरा उसका तो मैं था हैरान,हाथ थामने वाला कोई और नहीं थे मेरे श्री राम,जब देखा मैंने तो हंस कर बोले तुने जपा था हर दिन दो घड़ी मेंरा नाम, उसका कर्ज चुकाने आया,रो दिया यह सोचकर जिसको जपा दो घड़ी वह बचाने आया,जिसको रमा हर घड़ी वह श्मशान पहुंचाने आया, तभी खुली आँख मेरी मै बिस्तर पर था सोया।