होली होले खेलिए
खूब लगाओ रंग ।
फाग राग सब गाईये
खूब बजाओ मृदंग।।
प्यार से रंग एसे लगे
तन मन जगे उमंग।
*चिंतक* प्रेम मिलन का
तन मन उठे तरंग।
द्वेशभाव सब छोड़ कर
खेलों होली संग।
प्यार सम्मान हो सभी का
डूबो होली के रंग।।
होली सबके मिलन की
बैरभाव के दफ़न की ।
आग लगाओ इस होली मे
बुराईयों के कफ़न की।।
होली होली सब कहे
मतलब जानो भाई।
होली के इस शब्द में
पवित्रता छलकाई।।
होली मां है, होली
बहिन है।
होली देश की शान।
उलटे -सिधे कर्म से
मत करिए बदनाम।।
छोड़ो नफरत आज से
सब को गले मिलाय।
पिछली मन की टीस को
दिजे सभी भुलाय।।
श्री रमेश चन्द्र शर्मा जी *चिंतक*