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Sunday, October 16, 2022

दुलहा चितचोर अइले मिथिला नगरी में.

दुलहा श्यामल हई की गोर ,
समझे नहीं मोरा छोर ,
मिथिला नगरी में मचगईल शोर !
दुलहा चितचोर अइले ।
सुनले नगर के नर नार ,
कइसन अइले सुकुमार ,
उठी धावे जावे दुलहा के ओर ! 
दुलहा चितचोर अइले ।
मिथिला नगरी में .....।
देखली नयन पसार 
जाके जनक जी के द्वार
सांझ होय नहीं नित रहे भोर !
दुलहा चितचोर अइले 
मिथिला नगरी में..... ।
हम करी का बखान 
हथि रूपवा के खान 
सिया प्यारी वर चंदा चकोर !
दुलहा चितचोर अइले 
मिथिला नगरी में..... ।
छाड़ी काम दौड़ धाम 
पाब मंद मुसुकान
छम छम नाचे मन मयूर घनघोर !
दुलहा चितचोर अइले 
मिथिला नगरी में....!   
            श्री गोपाल पाठक जी