|| श्री जानकीवल्लभो विजयते ||
भाद्रपद कृष्ण अमावस्या को पितृ अमावस्या ( कुशोत्पाटनी अमावस्या ) भी कहते हैं | इस दिन घर के बुजुर्ग लोगों को सुबह गंगा, यमुना, नदी या तालाब में स्नान करने के बाद अपने पितरों ( पूर्वजों ) को पितृ तर्पण मन्त्र से जल ( पानी ) से तर्पण करना चाहिए। तर्पण करने के बाद इसी दिन आगे आने वाले आश्विन कृष्ण पितृ पक्ष में अपने - अपने तिथियों पर आ कर अपने अंश ( भोजन ) को स्वीकार करने के लिए, अपने परिवार की शुभकामना के लिए प्रार्थना करते हैं | प्रार्थना करने के बाद अपने घर की ओर चल देते हैं, पीछे मुड़ कर नहीं देखते |
पांडित्य कर्म करने वाले ब्राह्मण इस दिन स्नान करने के बाद जंगल में जा कर कुषा छुप ( छोटे पौधे ) के जड़ में अपने पितरों के नाम से तर्पण करते हैं ओर कुषा को उखाड़ कर अपने घर ले आते हैं | जो वर्ष भर ग्रहण, पूजा, तर्पण आदि में प्रयोग किया जाता है | इस बार ये अमावस्या १७ अगस्त २०१२ को आ रही है |
( विशेष : यह कार्य ( काम ) घर से बाहर किया जाता है | तर्पण का कार्य किसी पांडित्य ब्राह्मण के देख रेख में करना चाहिए । )
"राधे राधे"