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Friday, October 15, 2010

श्री आम्बा जी की आरती

|| ॐ श्री चामुण्डायै नमः ||


जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी |
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ||
माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को |
उज्जल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको ||
कनक सामान कलेवर, रक्ताम्बर राजै |
रक्त पुष्प गल माला, कंठन पर साजै ||
केहरी - वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी |
सुर - नर - मुनि - जन सेवक, तिनके दुःखहारी ||
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती |
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ||
शुम्भ निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती |
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती ||
चंड मुण्ड संहारे, शोणितबीज हरे |
मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ||
ब्रह्माणी रुद्राणी, तुम कमला रानी |
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ||
चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरूं |
बाजत ताल मृदंगा, औ बाजत डमरूं ||
तुम ही जग माता, तुम ही हो भरता |
भक्तन के दुःखहर्ता, सुख सम्पत्ति करता ||
भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी |
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ||
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती |
( श्री ) मालकेतु में राजत, कोटि रतनज्योती ||
( श्री ) अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावे |
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे ||
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ||
|| बोलो श्री दुर्गा माँ की जय ||
|| बोलो श्री महिषासुर मर्दनी की जय ||
|| हर हर हर महादेव ||
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