// श्री जानकीवल्लभो विजयते //
मैं समय हूँ
पं. लक्ष्मीकान्त शर्मा (कौशिक)
श्री धाम वृन्दाबन-भारत
हाँ........... मैं समय हूँ | मैं प्रारम्भ में था, अभी भी हूँ और आगे भी रहूँगा | मेरी स्मृतियों में वह सब कुछ ताजा है जिसे आप शायद विस्मृत कर चुके हैं | तो आओ मैं तुम्हें याद दिलाता हूँ | इतिहास में आर्यावर्त के विषय में सब कुछ दर्ज है | भारतवर्ष उसी आर्यावर्त का एक खण्ड है | आज भी संकल्प के समय मन्त्र उच्चारण में आर्यावर्त का नाम लिया जाता है | वैसे तो सतयुग, त्रेता, द्वापर में भी अनेक आततायिओं द्वारा प्रकृति और मानवता पर घोर प्रहार किये गये, उन युगों में भी उन दुष्टात्माओं का नाश हुआ और मानवता और प्रेम की जीत हुयी | कलियुग में भी फ़िर से प्रेम और मानवता के शत्रु एक नये कलेवर में सामने आये | मुझे ठीक प्रकार से याद है कि प्रेम, एकता व शान्ति के पुजारी भारत में विनकासिम नामक आततायी ने किस प्रकार हमारी अस्मिता को चोट पहुँचायी |
परन्तु भारत की शक्ति, वीर सपूतों को जन्म देने वाली मातृ शक्ति ने एक उदाहरण प्रस्तुत किया, जिसे सारे विश्व ने देखा | उसने अस्मिता की रक्षा के लिए वीरांगनाओं का वाना पहना और उन आक्रान्ताओं से लोहा लिया | मैं ( समय ) गवाह हूँ कि उस समय सतीत्व की और कौमार्य की रक्षा के लिये राजस्थान में जौहरव्रत को भी गले लगाया गया | भारत माता की जंजीरे उसके अनेकों पुत्र, पुत्रियों के वलिदान के फल स्वरूप टूट गयीं | आजादी का वरण हुआ और मानवता ने विश्व को प्रेम व शान्ति का सन्देश दिया | परन्तु एक कहावत सच साबित हुयी कि "घर की फूट बुरी" इस फूट ने ही भारत के एक भाग को पाकिस्तान का रूप दे दिया | यहीं से आततायियों जिन्हें आतंकवादी कहा जाता है उनके आतंक का वीजारोपण हुआ और उन्हें खाद पानी दिया गया पश्चिमी देशों के द्वारा, वह भी निजी स्वार्थ के लिये तथा उनकी वैशाखी बने अपने ही घर ( भारत ) के मौका परस्त निज हित चिन्तक राजनेता | आज जो समस्या मानवता के विनाश की दिखायी दे रही है वह आपसी फूट का ही नतीजा है | आज भ्रष्टाचार, दुराचार, ईर्ष्या, द्वेष, लालच, लोभ, कटुता, धोखा आदि ने अपना आकार सुरसा जैसा कर लिया है | एक दुसरे पर दोषारोपण एक प्रकार का चलन बन गया है |
लेकिन यह याद रहे कि "जब दूसरे की तरफ़ उँगली का इशारा करके दोषारोपण करते हैं तो बाकी चार उँगली स्वयं ( अपनी ) ओर ही इशारा करती हैं" अर्थात हमें अपने अन्दर अपनी भी गल्तियों, कमियों को देखना चाहिए | हमें ( प्रत्येक को ) अपना भी आत्म विश्लेषण करना चाहिए | चाहें हमारे राजनेता हों या अभिनेता हों या नौकरशाह हों या समाजसेवी हों या धर्माचार्य हों, बुध्दजीवी हों या राष्ट्र हित चिन्तक हों सभी का एकमत, एकविचार हों कि हम भारतीय हैं | हम प्रेम, शान्ति ओर मानवता के सच्चे पुजारी हैं | चाहें जो परिस्थिति हों हम कभी भी किसी भी कीमत पर समझौता आततायीयों और उनकी विचार धाराओं से नहीं करेंगे, जो कि मानवता के लिये हानि कारक हों |
आज मैं (समय ) देख रहा हूँ कि युवा शक्ति को दिगभ्रमित किया जा रहा है | परन्तु मैं यह भी देख रहा हूँ कि एक नयी किरण जो एक विशाल मशाल का रूप लेने जा रही है | वह युवा शक्ति के बीच से ही निकल ( उदय हो ) रही है | आतंकवादीयों के आतंक को समूल नष्ट करने के लिये प्रत्येक को अपनी अन्तरात्मा को जगाना होगा | सभी को सत्यता के साथ अपना राष्ट्र के प्रति कर्तव्य को समझ कर क्रियान्वित करना होगा | मन, वचन और कर्म से एक ही क्रिया करना होगा कि राष्ट्र हित व मानवता की रक्षा से हम कोई समझौता नहीं करेंगे | अपने ही घर ( राष्ट्र ) के भेदियों का पता लगा कर उन्हें भी सीख देनी होगी | नीति, रीति में ईमानदारी का पालन करना होगा | निश्चय ही इसके लिए युवा शक्ति को दिशा प्राप्त करनी होगी तथा पूर्ण मनोयोग से ईमानदारी के साथ बिना भेद भाव तथा राग द्वेष व स्वार्थ का त्याग करके कर्म करने पर सुख दायी फल शान्ति, प्रेम, सौहार्द, एकता, सम्प्रभुता और अखंडता का दर्शन होगा और तभी आततायियों के आतंक से निजात मिल सकेगी और मानवता की जीत निश्चित ही होगी व विश्व में भारत अपना सर्वोच्च स्थान निरन्तर स्थायी रखेगा | आओ शान्ति, सुरक्षा व समृध्दी के पथ पर मेरे ( समय के ) साथ आगे बढो |
जय श्री राधे राधे